दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

शनिवार, 24 नवंबर 2018

कुंडलिनी

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नव प्रयोग कुंडलिनी छंद * आँख आँख में डाल, चलो करें अब बात हम। चुरा-झुकाकर आँख,  करें न निज विश्वास कम।। करें न निज विश्वास कम, चलो निवा...

कुंडलिनी छंद

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नव प्रयोग कुंडलिनी छंद * लूट रहा है बाग, माली कलियाँ  रौंदकर। भाग रहे हैं सेठ, खुद ही डाका डालकर।। खुद ही डाका डालकर, रपट सिखाते झूठ। ...
शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

कुंडलिनी छंद

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एक कुण्डलिनी  * बोल भारती आप,  भारत माँ को नमन कर। मंजिल वरिए झूम, हरसंभव सब जतन कर।। हर संभव सब जतन कर,  हरा हार को जीत। हार पहनिए...

मुक्तक

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मुक्तक श्री वास्तव में मिले जब, हो मन में संतोष। संस्कारधानी करे, सारस्वत जयघोष।। बोल रही हैं हवा में, बंद मुट्ठियाँ सत्य- अ...

कुंडलिनी छंद

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हिंदी के नए छंद  कुण्डलिनी छंद  * लक्षण:  षट्पदिक्, द्वादश चरणीय, एक सौ चवालीस मात्रिक  वैशिष्ट्य: कुण्डलिया से साम्य- १. दो...
गुरुवार, 22 नवंबर 2018

विदग्ध

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हँसी-खुशियों से सजी हुई जिन्दगानी चाहिये। सबको जो अच्छी लगे ऐसी रवानी चाहिये। समय के संग बदल जाता सभी कुछ संसार में। जो न बदले याद क...
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