दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

सोमवार, 30 जुलाई 2018

लघुकथा: वेलेंटाइन

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लघु कथा वैलेंटाइन * 'तुझे कितना समझाती हूँ, सुनता ही नहीं. उस छोरी को किसी न किसी बहाने कुछ न कुछ देता ही रहता है. इतने दिनों में तो बा...

basant

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मुक्तक * श्वास-श्वास आस-आस झूमता बसन्त हो मन्ज़िलों को पग तले चूमता बसन्त हो भू-गगन हुए मगन दिग-दिगन्त देखकर लिए प्रसन्नता अनंत घूमता बस...

sarasvati

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स्तवन * सरस्वती शारद ब्रम्हाणी! जय-जय वीणा पाणी!! * अमल-धवल शुचि, विमल सनातन मैया! बुद्धि-ज्ञान-विज्ञान प्रदायिनी छैंया। तिमिरहारिणी, भयनिव...

navgeet

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नवगीत: ढाई आखर संजीव * जिन्स बना बिक रहा आजकल ढाई आखर . दाँत दूध के टूट न पाये पर वयस्क हैं.औ नहीं सुंदरी नर्स इसलिए अनमयस्क हैं. चूस रह...

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एक कथ्य चार छंद: * जनक छंद फूल खिल रहे भले ही गर्मी से पंजा लड़ा पत्ते मुरझा रहे हैं * माहिया चाहे खिल फूल रहे गर्मी से हारे पत्ते कुम्हलाय ...

rajasthani doha

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राजस्थानी दोहे - मरवण रा दूहा/ दीनदयाल शर्मा मखमल जेड़ी मोवणी, तिरछा-तिरछा नैण। औलै छानै झांकिया, मरवण करसी सैण।। जाडी बंटली जेवड़ी...
1 टिप्पणी:

दोहा सलिला

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शिव पर दोहे * शिव सत हैं; रहते सदा, असत-अशुचि से दूर। आत्मलीन परमात्म हैं, मोहमुक्त तमचूर।। * शिव सोकर भी जागते, भव से दूर-अदूर। उन्...
रविवार, 29 जुलाई 2018

मुक्तिका: प्राण जी

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वरिष्ठ ग़ज़लकार प्राण शर्मा, लंदन के प्रति  भावांजलि  संजीव  * फूँक देते हैं ग़ज़ल में प्राण अक्सर प्राण जी  क्या कहें किस तरह रचते हैं ग़ज़ल सम्...

पोएम: रिवर

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Poem: RIVER Sanjiv * I wish to be a river. Why do you laugh? I'm not joking, I really want to be a river> Why? Just because River is...

सुमेरु छंद

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छंद परिचय : २  पहचानें इस छंद को, क्या लक्षण?, क्या नाम? रच पायें तो रचें भी, मिले प्रशंसा-नाम.. * भोग्य यह संसार हो तुझको नहीं  त्याज्य भी...

नवगीत

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नवगीत : संजीव * विंध्याचल की छाती पर हैं जाने कितने घाव जंगल कटे परिंदे गायब धूप न पाती छाँव * ऋषि अगस्त्य की करी वन्दना भोला छला गया. ...

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लघुकथा ज़हर  संजीव * --'टॉमी को तुंरत अस्पताल ले जाओ।' जैकी बोला। --'जल्दी करो, फ़ौरन इलाज शुरू होना जरूरी है। थोड़ी सी देर भी ...

प्राक्कथन: जब से मन की नाव चली

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प्राक्कथन- "जब से मन की नाव चली" नवगीत लहरियाँ लगें भली आचार्य संजीव वर्मा "सलिल" * गीतिकाव्य क...

दोहा

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सद्गुरु ओशो ज्ञान दें, बुद्धि प्रदीपा ज्योत रवि-शंकर खद्योत को, कर दें हँस प्रद्योत   ...

sanjiv

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हिंदी और हिंदी डॉ. महावीर सरन जैन

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विमर्श: हिंद और हिंदी  डॉ. महावीर सरन जैन  * ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में ‘स्’ ध्वनि नहीं बोली जाती थी। ‘स्’ को ‘ह्’ रूप में ब...
शनिवार, 28 जुलाई 2018

दोहा शतक: शोभित वर्मा

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ॐ स्वप्न करें साकार दोहा शतक शोभित वर्मा जन्म: १८.५.१९८१, दिल्ली । आत्मज: श्र...
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