दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 31 दिसंबर 2017

अभियंता साहित्य संगोष्टी

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अभियंता कवि ओमप्रकाश यति संस्कारधानी में आदमी क्या, रह नहीं पाए सम्हल के देवता- यति  अभियन्ता साहित्य संगोष्ठी जबलपुर,...

haiku

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हाइकु * हो नया हर्ष हर नए दिन में नया उत्कर्ष . प्राची के गाल रवि करता लाल है नया साल . हाइकु लिखो ...

नवगीत

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दोहा दुनिया

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शिव शुभ कर हरते अशुभ, भोले रहते शांत. शंकर शंका मिटा दें, बम विश्वास प्रशांत. . निन्गा कहते पिंड से, उपजे सारी सृष्टि. बसे-लीन हो अंड...
शनिवार, 30 दिसंबर 2017

samyika alha

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सामयिक आल्हा,   * मचा महाभारत भारत में, जन-गण देखें ताली पीट  दहशत में हैं सारे नेता, कैसे बचे पुरानी सीट?  . हुई नोटबंदी, पैरों के नीचे,...

geet

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गीत : * सत्रह साला सदी हुई यह * सपनीली आँखों में आँसू छेड़ें-रेपें हरदिन धाँसू बहू कोशिशी झुलस-जल रही बाधा दियासलाई सासू कैरोसीन ननदिया की ज...

navgeet

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नवगीत   * न मैं सुधरूँ न तुम सुधरो  कहो हो साल शुभ कैसे? * वही रफ़्तार बेढंगी जो पहले थी, सो अब भी है दिशा बदले न गति बदले निकट हो लक्ष्य फि...

yaksha prashna 1

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यक्ष प्रश्न १  * कहते हैं 'जो ब्रम्ह को जानता है वही ब्राम्हण होता है.'  ब्राम्हण सभाओं में कितने ब्राम्हण हैं?  क्या वे अन्यों को ...

दोहा दुनिया

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शिव रमते हैं भाव में, शिव में रमता भाव. शिवा चाह हैं, चाव हैं, शून्य अभाव प्रभाव. . जटा-जूट शिव-शीश पर, शोभित अगणित व्याल. सोम संग अम...
शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

om prakash yati

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अभियंता कवि ओमप्रकाश यति संस्कारधानी में मेरे नज़दीक शायरी भी एक तपस्या है - यति  अभियन्ता साहित्य संगोष्ठी जबलपुर. नये वर...

laghukathaa

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लघुकथा: करनी-भरनी * अभियांत्रिकी महाविद्यालय में परीक्षा का पर्यवेक्षण करते हुए शौचालयों में पुस्तकों के पृष्ठ देखकर मन विचलित होने लगा। ...

दोहा दुनिया

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शिव कलकल जलधार हैं, डिमडिम डमरू-नाद. शिव मन-घटता मौन हैं, शिव सत् से संवाद. . कंठ काल से अलंकृत, महाकाल हैं आप. शिव विराटतम सूक्ष्मतम...
गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

samiksha

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🔰 कृति चर्चा: 'कशमकश' मन में झाँकती कविताएँ [कृति विवरण: कशमकश, कविता संग्रह, ISBN ९७८-९३-८५०१३-६५-२, श्रुति कुशवाहा, वर्ष २०१६...

doha karyashala

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नव लेखन कार्य शाला: दोहा सलिला सुनीता सिंह * पीड़ा मे क्यो डूबता, बैठ करे संताप। ले बीड़ा उपचार का, अपना रहबर आप।। ...
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