दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

बुधवार, 29 नवंबर 2017

samasyapurti: naak

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समस्या पूर्ति:  नाक    * नाक के बाल ने, नाक रगड़कर, नाक कटाने का काम किया है  नाकों चने चबवाए, घुसेड़ के नाक, न नाक का मान रखा है  नाक न ऊ...

doha- nar-naree ke

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दोहा सलिला . नारी के दो-दो जगत, वह दोनों की शान.  पाती है वरदान वह, जब हो कन्यादान. . नारी को माँगे बिना, मिल जाता नर-दास. कुल-वध...
मंगलवार, 28 नवंबर 2017

navgeet

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नवगीत: गीत पुराने छायावादी मरे नहीं अब भी जीवित हैं. तब अमूर्त अब मूर्त हुई हैं संकल्पना अल्पनाओं की कोमल-रेशम सी रचना की छुअन अ...
शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

navgeet

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नवगीत . बसर ज़िन्दगी हो रही है सड़क पर. . बजी ढोलकी गूंज सोहर की सुन लो टपरिया में सपने महलों के बुन लो दुत्कार सहता बचपन बिचारा ...
बुधवार, 22 नवंबर 2017

kundaliya

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कार्यशाला- विधा - कुण्डलिया छंद कवि- भाऊ राव महंत ०१ सड़कों पर हो हादसे, जितने वाहन तेज उन सबको तब शीघ्र ही, मिले मौत की सेज। मिले मौ...
मंगलवार, 21 नवंबर 2017

doha-yamak

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गले मिले दोहा यमक . बिल्ली जाती राह निज,  वह न काटती राह होते हैं गुमराह हम,  छोड़ तर्क की थाह . जो जगमग-जगमग करे,  उसे न सोना जान  ...

hindi sahitya men hasya ras

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हिंदी साहित्य में हास्य रस मेघना राठी, भोपाल   * हास्य यानि नवरस में से एक। डॉ गणेश दत्त सारस्वत के अनुसार , " हास्य जीवन की ...

kshanika

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क्षणिकाएँ १. क्षितिज . क्षितिज यदि  हाथ आता तो बनाते हम तवा उसको जला सूरज का नित चूल्हा बनाते समय की रोटी मिटाते भूख दुनिया की, क्...

doha

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दोहा द्विपदी ही नहीं- दोहा द्विपदी ही नहीं, चरण न केवल चार गौ-भाषा दुह अर्थ दे सम्यक, विविध प्रकार * तेरह-ग्यारह विषम-सम, चरण पदी ...
रविवार, 19 नवंबर 2017

chanchareek

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स्मरणांजलि: महाकवि जगमोहन प्रसाद सक्सेना 'चंचरीक'    आचार्य  संजीव वर्मा 'सलिल'     * ॐ परात्पर ब्रम्ह ही, रचते है...

pad

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एक पद- अभी न दिन उठने के आये  चार लोग जुट पायें देनें कंधा तब उठना है  तब तक शब्द-सुमन शारद-पग में नित ही धरना है  मिले प्रेरणा करूँ कल्पना...

doha

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एक दोहा  शब्द-सुमन शत गूंथिए, ले भावों की डोर  गीत माल तब ही बने, जब जुड़ जाएँ छोर

kundlini

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एक कुण्डलिनी  मन मनमानी करे यदि, कस संकल्प नकेल  मन को वश में कीजिए, खेल-खिलाएँ खेल  खेल-खिलाएँ खेल, मेल बेमेल न करिए  व्यर्थ न भरिए तेल, व...

doha

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दोहा दुनिया  ज्योति बिना चलता नहीं, कभी किसी का काम प्राण-ज्योति बिन शिव हुए, शव फिर काम तमाम  * बहिर्ज्योति जग दिखाती, ठोकर लगे न एक  अंतर...

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काव्य वार्ता  नाम से, काम से प्यार कीजै सदा  प्यार बिन जिंदगी-बंदगी कब हुई? -संजीव  * बन्दगी कब हुई प्यार बिन जिंदगी  दिल्लगी बन गई आज दिल ...

ghanaksharee salila

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घनाक्षरी सलिला   आठ-आठ-आठ-सात, पर यति रखकर, मनहर घनाक्षरी, छंद कवि रचिए। लघु-गुरु रखकर, चरण के आखिर में, 'सलिल'-प्रवाह-गति, वेग...
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