दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

गुरुवार, 27 जुलाई 2017

kshanika

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क्षणिकायें: १. आभार * आभार अर्थात आ भार. तभी कहें जब सकें स्वीकार * २. वरदान * ज़िन्दगी भरा चाहा ...

kavita- purush

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एक रचना पुरुष * तुम्हें न देखूँ तो शिकायत किया करता हूँ अदेखा पुरुष हूँ न. . तुम्हें देखूँ तो शिकायत ...

chhand parichay - 1.

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छंद परिचय : १ पहचानें इस छंद को, क्या लक्षण?, क्या नाम? रच पायें तो रचें भी, मिले प्रशंसा-नाम.. * नमन उषानाथ! मुँह मत मोड़...
मंगलवार, 25 जुलाई 2017

sahityik nakal

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क्या यह मौलिक सृजन है??? मुख पुस्तक पर एक द्विपदी पढ़ी. इसे सराहना भी मिल रही है.  मैं सराहना तो दूर इसे देख कर क्षुब्ध हो रहा हूँ.  आप की क...

kavyanuvaad

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अनुवाद सलिला मूल रचना: महादेवी वर्मा अंग्रेजी काव्यानुवाद: बीनू भटनागर * मैं नीर भरी दुख की बदली! . स्पंदन में चिर ...
1 टिप्पणी:

muktak

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एक मुक्तक भाव- अभावों का है तालमेल दुनिया ममता मन में धार अकेले चल दे तू गैरों में भी तुझको मिल जाएँ अपने अपनापन सिंगार साजकर चल दे तू ...
मंगलवार, 18 जुलाई 2017

hasya doha

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दोहा सलिला: शब्दों से खिलवाड़- १ संजीव 'सलिल' * शब्दों से खिलवाड़ का, लाइलाज है रोग.. कहें 'स्टेशन' आ गया, आते-जात...

smaran

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स्मरणांजलि: महाकवि जगमोहन प्रसाद सक्सेना 'चंचरीक' संजीव * महाकवि जगमोहन प्रसाद सक्सेना 'चंचरीक' साधु प्रवृत्ति क...
सोमवार, 17 जुलाई 2017

geet

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एक रचना * गाय * गाय हमारी माता है पूजो गैया को पूजो * पिता कहाँ है?, ज़िक्र नहीं माता की कुछ फ़िक्र नहीं सदा भाई से है लेना- नहीं ब...

janak chhand

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जनक छन्द सलिला * श्याम नाम जपिए 'सलिल' काम करें निष्काम ही मत कहिये किस्मत बदा  * आराधा प्रति पल सतत जब राधा ने श्याम को बही भ...

muktika

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मुक्तिका: अम्मी संजीव 'सलिल' * माहताब की जुन्हाई में, झलक तुम्हारी पाई अम्मी. दरवाजे, कमरे आँगन में, हरदम पडीं दिखाई अम्मी...

doha

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दोहा सलिला नाम अनाम * पूर्वाग्रह पाले बहुत, जब रखते हम नाम सबको यद्यपि ज्ञात है, आये-गये अनाम * कैकेयी वी...
रविवार, 16 जुलाई 2017

charcha-manch

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चर्चा मंच- दो कालजयी रचनाएँ: एक प्रश्न * प्रस्तुत हैं शैली और शैलेन्द्र की दो रचनाएँ. शैली की एक पंक्ति ''Our sweetest ...
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