दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 15 जनवरी 2017

vimarsh

›
विमर्श- गाँधी जी अपने विचारों और आचरण के लिए अनुकरणीय हैं अपने द्वारा उपयोग किये गए उपकरणों (चरखा, तकली, लाठी, चश्मा आदि) के लिए ???
शनिवार, 14 जनवरी 2017

"साइकिल" जो किसी फेरारी, लैंबॉर्गिनी , बुगाटी या रोल्स रायल से कीमती है !

›
व्यंग "साइकिल" जो किसी फेरारी, लैंबॉर्गिनी , बुगाटी या रोल्स रायल से कीमती है ! विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल काल...
1 टिप्पणी:
शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

navgeet

›
नवगीत दूर कर दे भ्रांति * दूर कर दे भ्रांति आ संक्राति! हम आव्हान करते। तले दीपक के अँधेरा हो भले हम किरण वरते। * रात में तम हो ...
बुधवार, 11 जनवरी 2017

muktika

›
मुक्तिका * ज़िंदगी है बंदगी, मनुहार है. बंदगी ही ज़िंदगी है, प्यार है. सुबह-संझा देख अरुणिम आसमां गीत गाए, प्रीत क...
मंगलवार, 10 जनवरी 2017

laghukatha

›
लघुकथा- गूंगे का गुड़ * अपने लेखन की प्रशंसा सुन मित्र ने कहा आप सब से प्रशंसा पाकर मन प्रसन्न होता है किंतु मेरे पति प्राय: कोई प्रतिक्...

doha, soratha, mukatak

›
दोहा सलिला  * मन मीरां तन राधिका,तरें जपें घनश्याम। पूछ रहे घनश्याम मैं जपूँ कौन सा नाम? * जिसको प्रिय तम हो गया, उ...

lekh

›
आलेख- मत करें उपयोग इनका  हम जाने-अनजाने ऐसी सामग्री का उपयोग करते रहते हैं जो हमारे स्वस्थ्य, पर्यावरण और परिवेश के लिए घातक होती है....
रविवार, 8 जनवरी 2017

laghukatha

›
लघुकथा- गुरु जी * मुझे आपसे बहुत कुछ सीखना है, क्या आप मुझे शिष्य बनाकर नहीं सिखायेंगे? बार-बार अनुरोध होने पर न स्वीकारने की अशिष्टता ...

laghukatha

›
लघुकथा  खाँसी  * कभी माँ खाँसती, कभी पिता. उसकी नींद टूट जाती, फिर घंटों न आती. सोचता काश, खाँसी बंद हो जाए तो चैन की नींद ले पाए.  पहले मा...
शनिवार, 7 जनवरी 2017

navgeet

›
नवगीत क्यों? * मेहनतकश को मिले मजूरी में गिनती के रुपये भाई उस पर कर है. * जो न करे उत्पादन कुछ भी उस अ...
गुरुवार, 5 जनवरी 2017

muktak

›
मुक्तक- बिखर जाओ फिजाओं में चमन को आज महाकाओ  ​बजा वीणा निगम-आगम ​कहें जो सत्य वह गाओ  ​अनिल चेतन​ हुआ कैलाश पर ​श्री वास्तव में पा  बनो​ ह...

laghukatha

›
​​लघुकथा-  कतार  * दूरदर्शनी बहस में नोटबन्दी के कारण लग रही लंबी कतारों में खड़े आम आदमियों के दुःख-दर्द का रोना रो रहे नेताओं के घड़ियाली आ...

muktika

›
मुक्तिका   * नेह नर्मदा बहने दे  मन को मन की कहने दे  * बिखरे गए रिश्ते-नाते  फ़िक्र न कर चुप तहने दे  * अधिक जोड़ना क्यों न...
मंगलवार, 3 जनवरी 2017

muktak

›
मुक्तक आस का, विश्वास का हम, नित नया सूरज उगायें दूरियों को दूर कर दें, हाथ हाथों से मिलायें ताल के सँग झूम ले मन, नाद प्राणों में समाये...

do pad

›
दो पद  चंचल कान्हा, चपल राधिका, नाद-ताल सम, नाच नाचे  रस-ली, जंग-जमुन सम लहर, संगम अद्भुत द्वैत तजे  ब्रम्ह-जीव सम, हाँ-ना, ना हाँ, ...
सोमवार, 2 जनवरी 2017

abhiyanta kavi sammelan

›
नववर्ष २०१७ : प्रथम अभियंता कवि सम्मेलन, IEI जबलपुर में संपन्न  *  जबलपुर, १-१-२०१७। नव वर्ष के उपलक्ष्य में आज संध्या ७ बजे से ...
रविवार, 1 जनवरी 2017

kavita

›
नए साल की पहली रचना- कलह कथा  * कुर्सी की जयकार हो गयी, सपा भाड़ में भेजें आज  बेटे के अनुयायी फाड़ें चित्र बाप के, आये न लाज  स...
शनिवार, 31 दिसंबर 2016

गीत

›
एक रचना * नए साल! आजा कतार में आगे मत जा। * देश दिनों से खड़ा हुआ है, जो जैसा है अड़ा हुआ है, किसे फ़िक्र जनहित का पेड़ा- बसा रहा है, ...

abhiyanta kavi sammelan

›
स्वागत नववर्ष २०१७  प्रसंग- ''काव्य में अभियांत्रिकी''  अभियंताओं का, अभियंताओं द्वारा, अभियंताओं के लिए काव्य सृजन एवं प...

navgeet

›
नवगीत समय वृक्ष है * समय वृक्ष है सूखा पत्ता एक झरेगा आँखें मूँदे. नव पल्लव तब एक उगेगा आँखे खोले. * कहो अशुभ या शुभ बोलो कुछ फ...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

योगदान देने वाला व्यक्ति

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava

:: संचालक मंडल ::

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava
Blogger द्वारा संचालित.