दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

muktak / muktika

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मुक्तक जी से लगाया है जी ने जो जी को जी में बसाया है जी ने भी जी को जीना न आया, जीना गए चढ़ जी ना ना जी के बिना आज जी को ...
गुरुवार, 17 नवंबर 2016

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कार्य शाला छंद-बहर दोउ एक हैं २ * गीत फ़साना (छंद- दस मात्रिक दैशिक जातीय, षडाक्षरी गायत्री जातीय सोमराजी छंद) [ब...
बुधवार, 16 नवंबर 2016

chhnd bahar dou ek hain

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कार्य शाला छंद-बहर दोउ एक हैं १ * गीत करेंगे वही (छंद- अष्ट मात्रिक वासव जातीय, पंचाक्षरी) [बहर- फऊलुन फ़अल १२२ १२...
मंगलवार, 15 नवंबर 2016

भाषा गीत

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हिंदी वंदना  हिंद और हिंदी की जय-जयकार करें हम  भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम  * भाषा सहोदरी होती है, हर प्राणी की  अक्षर-शब्द ...

गीत

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समस्यापूर्ति  'बादलों की कूचियों पर' * बादलों की कूचियों पर  गीत रचो पंछियों पर  भूमि बीज जड़ पींड़ पर छंद कहो डालियों पर झूम रही टहन...
सोमवार, 14 नवंबर 2016

baal geet

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बाल रचना बिटिया छोटी * फ़िक्र बड़ी पर बिटिया छोटी क्यों न खेलती कन्ना-गोटी? * ऐनक के काँचों से आँखें झाँकें लगतीं मोटी-मोटी * इतनी ज...
रविवार, 13 नवंबर 2016

geet

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एक रचना * पूछ रही पीपल से तुलसी बोलो ऊँचा कौन? जब भी मैंने प्रश्न किया है तब उत्तर पाया मौन * मीठा कोई कितना ...
गुरुवार, 10 नवंबर 2016

navgeet

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देव उठानी एकादशी पर नव गीत सोये बहुत देव अब जागो * सोये बहुत देव! अब जागो... तम ने निगला है उजास को। गम ने मारा है हुलास को। बाधाएँ छ...

doha , muktak

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दोहा दुनिया  दिन-दिन बेहतर हो सृजन, धीरज है अनिवार्य सधते-सधते ही सधें, जीवन में सब कार्य * तन मिथिला मिथलेश मन, बिंब सिया सुकुमार राम...

navgeet

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देव उठनी एकादशी (गन्ना ग्यारस) पर नवगीत: * देव सोये तो सोये रहें हम मानव जागेंगे राक्षस अति संचय करते हैं दानव अमन-शांति हरते हैं असुर क्...
शनिवार, 5 नवंबर 2016

samiksha

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पुस्तक सलिला – ‘मुक्ति और अन्य कहानियाँ’ सामाजिक जुड़ाव की विरासत   आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ * [पुस्तक विवरण – मुक्ति और अ...
शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

गीत

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नरक चौदस / रूप चतुर्दशी पर विशेष रचना:                       गीत   संजीव 'सलिल' * असुर स्वर्ग को नरक बनाते उनका मरण बने त...
गुरुवार, 3 नवंबर 2016

समीक्षा

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पुस्तक सलिला – ‘मेरी प्रिय कथाएँ’ पारिवारिक विघटन की व्यथाएँ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ * [पुस्तक विवरण – मेरी प्रिय कथ...
बुधवार, 2 नवंबर 2016

doha

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दोहा दुनिया खुद से खुद मुँह मोड़कर, क्यों बैठी हैं आप?  नयन नयन से मिलाएँ, हँसी सके तब व्याप *

doha

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दोहा दुनिया खुद से खुद मुँह मोड़कर, क्यों बैठी हैं आप?  नयन नयन से मिलाएँ, हँसी सके तब व्याप *

doha

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दोहा दुनिया खुद से खुद मुँह मोड़कर, क्यों बैठी हैं आप?  नयन नयन से मिलाएँ, हँसी सके तब व्याप *
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