दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

मंगलवार, 23 अगस्त 2016

geet

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हिन्दयुग्म मंगलवार ९-१२-२००८   चाँद वसुधा पर उतारूं... नीरज के बाद गीत-रचना के फ़लक पर बहुत कम सितारे चमकते नज़र आते हैं। उन्हीं कम...

baalgeet

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 बाल गीत  पारुल रुन-झुन करती आयी पारुल। सब बच्चों को भायी पारुल। बादल गरजे, तनिक न सहमी। बरखा लख मुस्कायी पारुल। चम-चम ...

laghukatha

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लघुकथा  पहल   * आपके देश में हर साल अपनी बहिन की रक्षा करने का संकल्प लेने का त्यौहार मनाया जाता है फिर भी स्त्रियों के अपमान की इत...

samiksha

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पुस्तक सलिला "खेतों ने खत लिखा" गीतिकाव्य के नाम आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [पुस्तक विवरण- खेतों ने खत लिखा,...

samiksha

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पुस्तक सलिला "रिश्ते बने रहें" पाठक से नवगीत के आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' * [पुस्तक विवरण- रिश्ते बने रहें, गीत-नवगीत, य...

doha muktika

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दोहा मुक्तिका- * साक्षी साक्षी दे रही, मत हो देश उदास जीत बनाती है सदा, एक नया इतिहास * कर्माकर ने दिखाया, बाकी अभी उजास हिम्मत मत हारें कर...

geet

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एक रचना- * कब-कब कितने जन्म हुए हैं  मरण हुए कब, कौन बताये? बिसरा कर सारे सवाल हम गीतों से मिलकर जी पाये * सूर्य उगा, गौरैया चहकी बादल बरसे...

muktak

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मुक्तक  जो हुआ अच्छा हुआ होता रहे मित्रता की फसल दिल बोता रहे  लाद कर गंभीरता नाहक जिए मुस्कराहट में थकन खोता रहे * मुक्तक कभी तो कोई हमें ...

haiku

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हाइकु *  जो जमाये हो  धरती पर पैर  उसी की खैर।  * भू पर पैर हाथ में आसमान कोई न गैर। * गह ले थाह तब नदी में कूद जी भर तैर * सब अपने हैं प्र...

doha

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दोहा सलिला  * चुप्पी को शेयर किया, बात हो गयी गोल मन की मन में रख नहीं, जो जी चाहे बोल * मन की बात न की अगर, कहना पचे न मीत बात घटाती दूरिय...

jhula geet

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प्रभु जी! झूलें विहँस हिंडोला  * मैया खोंसें कान कजलियाँ, मुस्कायें बम भोला।  ग्वाल-बाल सँग खाँय खजुरियाँ, तजकर माखन-गोला।...

baal geet

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बाल गीत  खेलें खेल  * आओ! मिलकर खेलें खेल * मैं दौडूँगा इंजिन बनकर रहें बीच में डब्बे बच्चे गार्ड रहेगा सबसे पीछे आपस में रखना है मेल आओ! म...

muktika

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मुक्तिका  * कहते हैं कुछ लोग, पुराना तज कर हम नूतन वर लें  अब तक रहते आये भू पर, अब मंगल को घर कर लें  * किया अमंगल कण-कण का लेकिन फिर भी म...

janakchhndi geet

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अभिनव प्रयोग जनकछन्दी (त्रिपदिक) गीत * मेघ न बरसे राम रे! जन-मन तरसे साँवरे! कब आएँ घन श्याम रे!! * प्राण न ल...
बुधवार, 17 अगस्त 2016

rakhi geet

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अंजुमन ।  उपहार ।  काव्य संगम ।  गीत ।  गौरव ग्राम ।  गौरवग्रंथ ।  दोहे ।  पुराने अंक संकलन ।  अभिव्यक्ति ।  कुण्डलिया ।  हाइकु ।  हास्...
1 टिप्पणी:

laghukatha

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लघुकथा- टूटती शाखें * नुक्कड़ पर खड़े बरगद की तरह बब्बा भी साल-दर-साल होते बदलावों को देखकर मौन रह जाते थे। परिवार में खटकते चा...

laghukatha

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लघुकथा पहल * आपके देश में हर साल अपनी बहिन की रक्षा करने का संकल्प लेने का त्यौहार मनाया जाता है फिर भी स्त्रियों के अपमान की...

ashok vruksh

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लेख शोक मिटाता वृक्ष अशोक अशोक का शब्दिक अर्थ है- "शोक न होना"। अशोक वृक्ष को हिन्दू धर्म में पवित्र, लाभकारी और विभिन्न मनोरथ...
मंगलवार, 16 अगस्त 2016

देवराज दिनेश

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विरासत  देवराज दिनेश  * आह्वान ध्यान से सुनें राष्ट्र-संतान, राष्ट्र का मंगलमय आह्वान. राष्ट्र को आज चाहिए दान , दान में नवयुवकों क...
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