दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

सोमवार, 25 जनवरी 2016

दोहा

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दोहा सलिला- * एक हाथ से दे रहा, दूजे से ले छीन संविधान ही छल-कथा, रचता नित्य नवीन * रोड़ा लाया कहीं से, ईंट कहीं से माँग संविधान ने अड़...
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रविवार, 24 जनवरी 2016

एक ग़ज़ल : वो जो राह-ए-हक़ चला है....

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वो जो राह-ए-हक़ चला है उम्र भर साँस ले ले कर मरा है  उम्र भर जुर्म इतना है ख़रा सच बोलता  कठघरे में जो खड़ा है  उम्र भर सहज था विश्वास...

lekh- navgeet aur desh

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विशेष लेख नवगीत और देश  आचार्य संजीव 'सलिल' * विश्व की पुरातनतम संस्कृति, मानव सभ्यता के उत्कृष्टतम मानव मूल्यों, समृद्धतम ...
शनिवार, 23 जनवरी 2016

laghukatha

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लघुकथा- सफ़ेद झूठ * गाँधी जयंती की सुबह दूरदर्शन पर बज रहा था गीत 'दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल', अचानक बेटे ने उठकर ट...

laghukatha

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लघु कथा - जैसे को तैसा * कत्ल के अपराध में आजीवन कारावास पाये अपराधी ने न्यायाधीश के सामने ही अपने पिता पर घातक हमला कर दिया।  न्य...
बुधवार, 20 जनवरी 2016

navgeet

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नवगीत चीनी जैसा नुक्ता * चीनी जैसा नुक्ता है या नुक्ता जैसी चीनी है? नुक़्ती के लड्डू में खुश्बू नेह-प्रेम की भीनी है....  * तकलीफों...
मंगलवार, 19 जनवरी 2016

navgeet

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नवगीत: बाहर बाज, बहेलिया * बाहर बाज, बहेलिया बैठे पहरेदार * जन-मन गौरैया विवश कैसे भरे उड़ान? सत्ता सूरज के लिये हर पल न...

navgeet

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नवगीत- पड़ा मावठा * पड़ा मावठा घिरा कोहरा जला अँगीठी आगी ताप * सिकुड़-घुसड़कर बैठ बावले थर-थर मत कँप, गरम चाय ले सुट्टा मा...

laghukatha

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लघुकथा- भारतीय * - तुम कौन? _ मैं भाजपाई / कॉंग्रेसी / बसपाई / सपाई / साम्यवादी... तुम? = मैं? भारतीय। ***

laghukatha-

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लघुकथा- चैन की साँस  * - हे भगवान! पानी बरसा दे, खेती सूख रही है। = हे भगवान! पानी क्यों बरसा दिया? काम रुक गया। - हे भगवान! रेलगाड़ी ज...

samwad katha

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रोचक संवाद कथा- ताना-बाना * - ताना ताना? = ताना पर टूट गया। - अधिक क्यों ताना?, और बाना? = पहन लिया। - ताना क्यों नहीं? = ताना ताना...
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सोमवार, 18 जनवरी 2016

navgeet

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एक रचना- समय  * है सभी कुछ  समय के आधीन लेकिन समय डिक्टेटर नहीं है। * समय रहता मौन गुपचुप देखता सब। आप माने या न माने देखता कब? चाल चलता बि...
शनिवार, 16 जनवरी 2016

navgeet

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एक रचना - समय की कीमत * समय की कीमत न करते * दूध पीते अब न तुम बच्चे रहे हो तन युवा पर अकल के कच्चे रहे हो हो नहीं गंभीर यदि तो ...

navgeet

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एक रचना - गीत सूर्य * गीत-सूर्य की नवल किरण नवगीत है * नवल किरण मृदु-शुचि होती है जन-मन में आशा बोती है जुड़ जमीन से पनपा करती अंकु...
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शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

laghukatha

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लघुकथा - संक्रांति  * - छुटका अपनी एक सहकर्मी को आपसे मिलवाना चाहता है, शायद दोनों....  = ठीक है, शाम को बुला लो, मिलूँगा-बात करू...

laghukatha -

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लघुकथा- पतंग * - बब्बा! पतंग कट गयी.... = कट गयी तो कट जाने दे, रोता क्यों है? मैंने दूसरी लाकर रखी है, वह लेकर उड़ा ले। - नहीं, नयी पत...
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गुरुवार, 14 जनवरी 2016

laghukatha

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लघुकथा - रफ्तार   * प्रतियोगिता परीक्षा में प्रथम आते ही उसके सपनों को रफ्तार मिल गयी। समाचार पत्रों में सचित्र समाचार छपा, गाँव भ...

laghukatha

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लघुकथा: अनजानी राह * कोशिश रंग ला पाती इसके पहले ही तूफ़ान ने कदमों को रोक दिया, धूल ने आँखों के लिये खुली रहना नामुमकिन कर दिया, प...
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बुधवार, 13 जनवरी 2016

haiku

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हाइकु संजीव * झूठ को सच करती सियासत सच को झूठ * सुबहो-शाम आराम है हराम राम का नाम * प्राची लगाती माथे पर बिंदिया साँझ सुहाती ...
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मंगलवार, 12 जनवरी 2016

चन्द माहिया :क़िस्त 27

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:1: वो शान से चलते हैं जैसा हो मौसम ईमान बदलते हैं :2: एक आस अभी बाक़ी तेरे आने की इक साँस अभी  बाक़ी :3: इक रंग-ए-क़यामत है ...
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