दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

सोमवार, 25 मई 2015

kruti charcha: sarvmangal-shakuntla khare

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कृति चर्चा: सर्वमंगल: संग्रहणीय सचित्र पर्व-कथा संग्रह   आचार्य संजीव  * [कृति विवरण: सर्वमंगल, सचित्र पर्व-कथा संग्रह, श्रीमती ...

मुक्तिका: संजीव

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मुक्तिका: संजीव  * सुरभि फ़ैली, आ गयीं  कमल-दल सम, भा गयीं  * ज़िन्दगी के मंच पर  बन्दगी  बन छा गयीं *  विरह-गीतों में विह...

muktika: sanjiv

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मुक्तिका: संजीव * हुआ जन दाना अधिक या अब अधिक नादान है अब न करता अन्य का, खुद का करे गुणगान है  *  जब तलक आदम रहा दम आदमी में खूब था...

कौन हूँ मैं

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पूछने मुझसे लगा प्रतिबिम्ब दर्पण में खड़ा इक कौन हूँ मैं और क्या परिचय मेरा उसको बताऊँ   कौन हूँ मैं? प्रश्न ये सुलझा सका है क...
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शनिवार, 23 मई 2015

muktak: sanjiv

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मुक्तक: संजीव  * पैर जमीं पर जमे रहें तो नभ बांहों में ले सकते हो  आशा की पतवार थामकर भव में नैया खे सकते हो.​​ शब्द-शब्द को कथ्...
शुक्रवार, 22 मई 2015

navgeet: sanjiv

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नवगीत: प्रयासों की अस्थियों पर  संजीव * प्रयासों की अस्थियों पर  सुसाधन के मांस बिन  सफलता-चमड़ी शिथिल हो झूलती. * सांस का ...
बुधवार, 20 मई 2015

doha salila: aankh

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दोहा सलिला: दोहों के रंग  आंख के संग संजीव * आँख लड़ी झुक उठ मिली, मुंदी कहानी पूर्ण लाड़ मुहब्बत ख्वाब सँग, श्वास-आस का चूर्ण * आँख क...

muktika: sanjiv

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मुक्तिका: संजीव * चल जब-तब परदेश को, अपना यही जुनून गुड मोर्निंग करिए कहीं, कहीं आफ्टर नून * गर्मी की तारीफ में पढ़ा कसीदा एक 'भ...

dwipadi / doha

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द्विपदियाँ: संजीव * नहीं इंसान हैं, हैवान हैं, शैतान हैं वो सब  जो मजहब को नहीं तहजीब, बस फिरका समझते हैं * मिले उपहार में जो फेंक दे...

navgeet: sanjiv

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नवगीत: जिंदगी के गणित में संजीव * जिंदगी के गणित में कुछ इस तरह उलझे हैं हम. बंदगी के गणित कर लें हल रही बाकी न दम. * इंद्र है य...

dwipadi salila: sanjiv

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द्विपदी सलिला: संजीव * वक़्त सुनता ही नहीं सिर्फ सुनाता रहता नजर घरवाली की ही इसमें अदा आती है * दिखाया आईना मैंने कि वो भी देख सके  ...
मंगलवार, 19 मई 2015

doha salila: naak -sanjiv

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दोहा सलिला:  दोहा का रंग नाक के संग  संजीव  * मीन कमल मृग से नयन, शुक जैसी हो नाक  चंदन तन में आत्म हो, निष्कलंक निष्पाप  * आँख कान कर पैर ...

dwipadiyan: sanjiv

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द्विपदियाँ संजीव * चतुर्वेदी को मिला जब राह में कोई कबीर  व्यर्थ तत्क्षण पंडितों की पंडिताई देख ली * सुना रहा गीता पंडित जो खुद माया ...

doha salila: aankh -sanjiv

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दोहा सलिला: दोहा के रंग आँखों के संग ३  संजीव  * आँख न रखते आँख पर, जो वे खोते दृष्टि  आँख स्वस्थ्य रखिए सदा, करें स्नेह की वृष्...
सोमवार, 18 मई 2015

दोहा सलिला: आँख संजीव

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दोहा सलिला: दोहे के रंग आँख के संग: ३ संजीव  *  आँख न दिल का खोल दे, कहीं अजाने राज  काला चश्मा आँख पर, रखता जग इस व्याज * नाम नयनसुख- ...

doha salila: aankh -sanjiv

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दोहा सलिला: दोहे के रंग आँख के संग संजीव * आँखों का काजल चुरा, आँखें कहें: 'जनाब! दिल के बदले दिल लिया,पूरा हुआ हिसाब' * आँख...
शनिवार, 16 मई 2015

muktak salila: sanjiv

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मुक्तक सलिला: संजीव * जब गयी रात संग बात गयी  जब सपनों में बारात गयी  जब जीत मिली स्वागत करती  तब-तब मुस्काती मात गयी * तुझको अपना...

doha salila: sanjiv

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दोहा सलिला: संजीव * लाज और कौशल रखें, अस्त्र-शस्त्र सम साथ 'सलिल' सफलता मिलेगी, ऊंचा रखिये माथ . बुद्धि विरागिनी विमल हो, हो...

dwipadi: sanjiv

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द्विपदी सलिला संजीव * रूप देखकर नजर झुका लें कितनी वह तहजीब भली थी  रूप मर गया बेहूदों ने आँख फाड़के उसे तका है * रंज ना कर बिसारे जि...
शुक्रवार, 15 मई 2015

एक ग़ज़ल : औरों की तरह ....

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... औरों की तरह "हाँ’ में कभी "हाँ’ नहीं किया शायद इसीलिए  मुझे   पागल समझ लिया जो कुछ दिया है आप ने एहसान आप  का उन हादिसा...
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