दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 19 अप्रैल 2015

doha salila: sanjiv

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दोहा सलिला: संजीव . चिंतन हो चिंता नहीं, सवा लाख सम एक जो माने चलता चले, मंजिल मिलें अनेक . क्षर काया अक्षर वरे, तभी गुंजाए शब्द ज्य...

dwipadiyaan: sanjiv

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द्विपदियाँ संजीव . ज्योति जलती तो पतंगे लगाते हैं  हाजरी टेरता है जब तिमिर तो पतंगा आता नहीं . हों उपस्थित या जहाँ जो वहीं रचता रहे ...

रेल विभाग में हो रही गडबडियों को दूर करने के लिए सुझाव

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जागो! नागरिक जागो: रेल विभाग में हो रही गडबडियों को दूर करने के लिए सुझाव निम्न लिंक पर भेजें. https://www.localcircles.com/a/home?t=c...
शनिवार, 18 अप्रैल 2015

doha

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दोहा:  सवा लाख से एक लड़, विजयी होता सत्य मिथ्या होता पराजित, लज्जित सदा असत्य  झूठ-अनृत से दूर रह, जो करता सहयोग उसका ही हो मंच में,...

doha salila: संजीव

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दोहा सलिला: संजीव . फाँसी, गोली, फौज से, देश हुआ आजाद  लाठी लूटे श्रेय हम, कहाँ करें फरियाद? . देश बाँट कुर्सी गही, खादी ने रह मौन  ...

muktika: sanjiv

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मुक्तिका: संजीव . बोलना था जब तभी लब कुछ नहीं बोले बोलना था जब नहीं बेबात भी बोले . काग जैसे बोलते हरदम रहे नेता गम यही कोयल सरीखे क...

navgeet: sanjiv

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नवगीत:  संजीव . मन की तराजू पर तोलो  .  'जीवन मुश्किल है'  यह सच है  ढो मत,  तनिक मजा लो. भूलों को भूलो  खुद य...
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

pustak samiksha: Dr. sadhna verma

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ॐ  कृति परिचय:   आधुनिक अर्थशास्त्र: एक बहुउपयोगी कृति   चर्चाकार- डॉ. साधना वर्मा   सहायक प्रध्यापक अर्थशास्त्र   शासकीय महाक...

muktika: sanjiv

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मुक्तिका: संजीव . हवा लगे ठहरी-ठहरी उथले मन बातें गहरी . ऊँचे पद हैं नीचे लोग सरकारें अंधी-बहरी . सुख-दुःख आते-जाते हैं धूप-छाँव जैसे तह र...

navgeet: sanjiv

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नवगीत: संजीव . राजा को गद्दी से काम . लोकतंत्र का अनुष्ठान हर प्रजातंत्र का चिर विधान हर जय-जय-जय जनतंत्र सुहावन दल खातिर है प्रावध...

रेल यात्रा में सुरक्षा हेतु सुझाव

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भारतीय रेल यात्रा को अधिक सुरक्षित बनाने हेतु सुझाव निम्न लिंक पर भेजें: https://www.localcircles.com/a/home?t=c&pid=6Vuua24BZNcPqKPVC...
गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

navgeet: sanjiv

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नवगीत संजीव . बांसों के झुरमुट में धांय-धांय चीत्कार . परिणिति अव्यवस्था की आम लोग भोगते. हाथ पटक मूंड पर खुद को ही कोसते. बा...

navgeet: sanjiv

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नवगीत: संजीव . सपने हुए कपूर गैर भी लगते अपने . जन-मन के मंदिर में घंटा-ध्वनि होने दो पथ पाने के लिये भीड़ में धँस-खोने दो हँसने क...

navgeet : sanjiv

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नवगीत: संजीव . नेह नर्मदा-धारा मुखड़ा गंगा लहरी हुए अंतरे . कथ्य अमरकंटक पर तरुवर बिम्ब झूमते डाल भाव पर विहँस बिम्ब कपि उछल लूमते ...

navgeet: sanjiv

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नव गीत: संजीव . अपने ही घर में बेबस हैं खुद से खुद ही दूर . इसको-उसको परखा फिर-फिर धोखा खाया खूब नौका फिर भी तैर न पायी रही किनार...

chitra par kavitaa

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चित्र पर कविता: संध्या सिंह  पेड़-पवन , पंछी-गगन , बजा भोर का साज़ | धरा-सूर्य के मिलन का , क्या अद्भुत अंदाज़ | संजीव क्या अद्भुत ...
बुधवार, 15 अप्रैल 2015

muktika: sanjiv

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मुक्तिका: संजीव . चूक जाओ न, जीत जाने से कुछ न पाओगे दिल दुखाने से . काश! खामोश हो गये होते रार बढ़ती रही बढ़ाने से . बावफा थे, न बे...

muktika: sanjiv

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मुक्तिका: संजीव . आप से आप ही टकरा रहा है आप ही आप जी घबरा रहा है . धूप ने छाँव से कर दी बगावत चाँद से सूर्य क्यों घबरा रहा है? . ...

doha: sanjiv

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खबरदार दोहे संजीव . केर-बेर का सँग ही, करता बंटाढार हाथ हाथ में ले सभी,  डूबेंगे मँझधार (समाजवादी एक हुए ) . खुल ही जाती है सदा, ...

doha salila: sanjiv

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दोहा सलिला: रश्मिरथी रण को चले, ले ऊषा को साथ दशरथ-कैकेयी सदृश, ले हाथों में हाथ . तिमिर असुर छिप भागता, प्राण बचाए कौन? उषा रश्मियाँ...
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