दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 25 जनवरी 2015

navgeet: -sanjiv

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नवगीत; तुम कहीं भी हो संजीव . तुम कहीं भी हो तुम्हारे नाम का सजदा करूँगा . मिले मंदिर में लगाते भोग मुझको जब कभी तुम पा प्रसादी यू...

समीक्षा: बांसों के झुरमुट से- ब्रजेश श्रीवास्तव का नवगीत संग्रह -संजीव

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नवगीत की पाठशाला   बुधवार, 17 दिसंबर 2014 बाँसों के झुरमुट से - ब्रजेश श्रीवास्तव हिंदी साहित्य का वैशिष्ट्य आम और ...

navgeet: -sanjiv

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नवगीत: भारत आ रै संजीव . भारत आ रै ओबामा प्यारे, माथे तिलक लगा रे! संग मिशेल साँवरी आ रईं, उन खों  हार पिन्हा रे!! . अपने मोदी जी...
शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

netaji subhash chandra bose aur bharat sarkar

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नेताजी जयंती पर: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस? और भारत सरकार  *                                       देश आजाद होने के बाद संसद में कई ...

navgeet: -sanjiv

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अभिनव प्रयोग नवगीत: संजीव . ओबामा आते देश में करो पहुनाई २ चोला बदल के किरन बेदी आई सुषमा के संगे करें पहुनाई ओबामा आये देश में क...

muktika: -sanjiv

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मुक्तिका: रात संजीव . चुपके-चुपके आयी रात शाम-सुबह को भायी रात झरना नदिया लहरें धार घाट किनारे काई रात शरतचंद्र की पूनम है '...
गुरुवार, 22 जनवरी 2015

navgeet: -sanjiv

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नवगीत: उपयंत्री की यंत्रणा संजीव . 'अगले जनम उपयंत्री न कीजो' करे प्रार्थना उपअभियंता पिघले-प्रगटे भाग्यनियंता 'वत्स! ...

laghukatha: anand pathak

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लघु कथा आनन्द पाठक *... एक बार फिर "खरगोश" और ’कछुए’ के बीच दौड़ का आयोजन हुआ पिछली बार भी दौड़ का आयोजन हुआ थ...

muktika: -sanjiv

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मुक्तिका: संजीव . आप मानें या न मानें, सत्य हूँ किस्सा नहीं हूँ कौन कह सकता है, हूँ इस सरीखा, उस सा नहीं हूँ मुझे भी मालुम नहीं है, क...

एक लघु कथा 03

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.... एक बार फिर "खरगोश" और ’कछुए’ के बीच दौड़ का आयोजन हुआ पिछली बार भी दौड़ का आयोजन हुआ था मगर ’गफ़लत’ के कारण ’खरगोश’ हार गया ...
2 टिप्‍पणियां:

navgeet: -sanjiv

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नवगीत: संजीव . चित्र: श्रीकांत . उग रहे या ढल रहे तुम कान्त प्रतिपल रहे सूरज . हम मनुज हैं अंश तेरे तिमिर रहता सदा घेरे आस दीपक ...

navgeet: -sanjiv

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नवगीत: संजीव . अधर पर धर अधर १० छिप २ नवगीत का मुखड़ा कहा १४    . चाह मन में जगी १० अब कुछ अंतरे भी गाइये १६ पंचतत्वों ने बनाकर १४ ...
बुधवार, 21 जनवरी 2015

muktak: - sanjiv

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मुक्तक: संजीव  * चिंता न करें हाथ-पैर अगर सर्द हैं  कुछ फ़िक्र न हो चहरे भी अगर ज़र्द हैं  होशो-हवास शेष है, दिल में जोश है गिर-गिरकर उठ खड़े ...

gazal, bahar,

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ग़ज़ल की प्रचलित बहरें  नवीन चतुर्वेदी 1. बहरे कामिल मुसम्मन सालिम मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन 11212 11212 11212 11212 य...
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