दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

बुधवार, 17 दिसंबर 2014

सृजनकार का वन्दन

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आज सिरज कर नव रचनायें  सृजनकार का वन्दन कर लें और रचेता के अनगिनती रूपों काअ भिनन्दन कर लें चित्रकार वह जो रंगों की कूची लेकर दृश्य  ...
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मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

geet:

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गीत: दरिंदों से मनुजता को जूझना है . सुर-असुर संघर्ष अब भी हो रहा है पा रहा संसार कुछ, कुछ खो रहा है मज़हबी जुनून पागलपन बना है ढँक गय...
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haiku:

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हाइकु  ईंट-रेट का  मंदिर मनहर  देव लापता।  .  बहा पसीना  चमक उठी देह  जैसे नगीना। .  महक रहा  महुआ जंगल में  बौराया वस...

muktika:

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मुक्तिका :   राजनीति का गहरा कोहरा, नैतिकता का सूर्य ढँका है  टके सेर ईमान सभी का, स्वारथ हाथों आज बिका है  रूप देखकर नज़र झु...
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navgeet:

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नवगीत:  जितनी रोटी खायी   की क्या उतनी मेहनत? .  मंत्री, सांसद मान्य विधायक  प्राध्यापक जो बने नियामक  अफसर, जज, डॉक्टर, अभि...
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muktak:

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मुक्तक:  अधरों पर मुस्कान, आँख में चमक रहे  मन में दृढ़ विश्वास, ज़िन्दगी दमक कहे  बाधा से संकल्प कहो कब हारा है? आओ! जीतो, यह संसार...
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doha:

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दोहा: पलकर पल भर भूल मत, पालक का अहसान  गंध हीन कटु स्वाद पर, पालक गुण की खान
सोमवार, 15 दिसंबर 2014

navgeet:

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नवगीत: पत्थरों की फाड़कर छाती उगे अंकुर . चीथड़े तन पर लपेटे खोजते बाँहें कोई आकर समेटे। खड़े हो गिर-उठ सम्हलते सिसकते चुप हो विहँसत...
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navgeet:

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नवगीत : कैंसर! मत प्रीत पालो . अभी तो हमने बिताया साल भर था साथ सच कहूँ पूरी तरह  छूटा ही नहीं है हाथ  कर रहा सत्कार अब भी यथोचित ...
रविवार, 14 दिसंबर 2014

chitra par kavita: navgeet, doha, kavita, geet

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चित्र पर कविता: १. नवगीत: संजीव  निज छवि हेरूँ  तुझको पाऊँ  .  मन मंदिर में कौन छिपा है? गहन तिमिर में कौन दिपा ह...
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navgeet

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नवगीत: नवगीतात्मक खंडकाव्य रच महाकाव्य की ओर चला मैं . कैसा मुखड़ा? लगता दुखड़ा कवि-नेता ज्यों असफल उखड़ा दीर्घ अंतरा क्लिष्ट शब्द रच ...
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शनिवार, 13 दिसंबर 2014

चन्द माहिया : क़िस्त 11

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;1: उल्फ़त की राहों से कौन नहीं गुज़रा मासूम गुनाहों से :2: आँसू न कहो इसको एक हिकायत है चुपके से पढ़ो इसको :3: कुछ वस्ल की बा...
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navgeet:

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नवगीत:  लेटा हूँ मखमल गादी पर लेकिन  नींद नहीं आती है  . इस करवट में पड़े दिखाई  कमसिन बर्तनवाली बाई  देह सांवरी नयन कटीले  अभी न हो पाई कुड़...
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शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

muktak

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मुक्तक: गीत रचें नवगीत रचें अनुगीत रचें या अगीत रचें कोशिश यह हो कि रचें जो भी न कुरीत रचें, सद्ऱीत रचें कुछ बात कहें अपने ढंग से, रस लय...

navgeet

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चित्र पर रचना नवगीत: ओ ममतामयी! कहाँ गयीं तुम? . नयनों से वात्सल्य लुटातीं अधर बीच मोती चमकातीं माथे रहा दमकता सूरज- भारत माँ तुम...

geeta jayanti

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समाचार : समाचार  श्रीमद्भगवद्गीता जीवन दर्शन और जीवन प्रबंधन का अभूतपूर्व ग्रन्थ   ----------------------------------------------...
गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

navgeet: sanjiv

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नवगीत: जिजीविषा अंकुर की पत्थर का भी दिल दहला देती है * धरती धरती धीरज बनी अहल्या गुमसुम बंजर-पड़ती लोग कहें ताने दे-देकर सिसकी ...
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साहित्य अकादमी द्वारा विविध-विधाओं के राष्ट्रीय-प्रादेशिक पुरस्कार घोषित 31 हजार का हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार दिव्य नर्मदा के संस्थापक...
सोमवार, 1 दिसंबर 2014

navgeet:

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नवगीत: पत्थरों के भी कलेजे हो रहे पानी . आदमी ने जब से मन पर रख लिए पत्थर देवता को दे दिया है पत्थरों का घर रिक्त मन मंदिर हुआ ...
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रविवार, 30 नवंबर 2014

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नवगीत: अनेक वर्णा पत्तियाँ हैं शाख पर तो क्या हुआ? अपर्णा तो है नहीं अमराई सुख से सोइये बज रहा चलभाष सुनिए काम अपना छोड़कर पत्र आते ...
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