दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

शनिवार, 22 नवंबर 2014

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नवगीत: रस्म की दीवार करती कैद लेकिन   आस खिड़की रूह कर आज़ाद देती सोच का दरिया भरोसे का किनारा कोशिशी सूरज न हिम्मत कभी हारा उमी...

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नवगीत: तरस मत खाओ अभी भी बहुत दम है झाड़ कचरा, तोड़ टहनी, बीन पाती कसेंड़ी ले पोखरे पर नहा, जल लाती फूँकती चूल्हा कमर का धनु बनाती धु...

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नवगीत: वृक्ष ही हमको हुआ  स्टेडियम है  शहर में साधन हजारों गाँव में आत्मबल  यहाँ अपनापन मिलेगा  वहाँ है हर ओर छल हर जगह...

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नवगीत: ज़िंदगी मेला झमेला आप मत कहिए इसे फोड़कर ऊसर जमीं को मुस्कुराता है पलाश जड़ जमा लेता जमीं में कब हुआ कहिए हताश? है दहकता तो ...

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नवगीत: अहर्निश चुप  लहर सा बहता रहे  आदमी क्यों रोकता है धार को? क्यों न पाता छोड़ वह पतवार को  पला सलिला के किनारे, क्यों रु...

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नवगीत: काबलियत को भूल चुना बेटे को मैंने बाम्हन का बेटा बाम्हन है बनिया का बेटा है बनिया संत सेठ नेता भी चुनता अपना बेटा माने दुनिय...

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नवगीत: जो जी चाहे करूँ मुझे तो है इसका अधिकार बीड़ी-गुटखा बहुत जरूरी साग न खा सकता मजबूरी पौआ पी सकता हूँ, लेकिन दूध नहीं स्वीकार ज...

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नवगीत: बग्घी बैठा सठियाया है समाजवादी हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाए अस्मत की धज्जियाँ उड़ाए आँसू सिसकी चीखें नारे आश्वासन कथरी लाशों पर स...
शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

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नवगीत: अंध श्रद्धा शाप है आदमी को देवता मत मानिये आँख पर अपनी न पट्टी बाँधिए साफ़ मन-दर्पण हमेशा यदि न हो गैर को निज मसीहा मत मानिए ...

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नवगीत: वेश संत का मन शैतान छोड़ न पाये भोग-वासना मोह रहे हैं काम-कामना शांत नहीं है क्रोध-अग्नि भी शेष अभी भी द्वेष-चाहना खुद को बत...
गुरुवार, 20 नवंबर 2014

kahawaten, muhaware, lokoktiyan: aankh

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कहावतें, मुहावरे, लोकोक्तियाँ आँख से सम्बंधित कहावतें, मुहावरे, लोकोक्तियाँ अर्थ और प्रयोग सहित प्रस्तुत करें। जैसे आँख लगना = नींद आ जा...

navgeet: brajesh shrivastava

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नवगीत: ब्रजेश श्रीवास्तव (नवगीत महोत्सव लखनऊ में वरिष्ठ नवगीतकार श्री ब्रजेश श्रीवास्तव, ग्वालियर से उनका नवगीत संग्रह 'बाँसों के झु...
2 टिप्‍पणियां:

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नवगीत:  अच्छा लगेगा आपको  यह जानकर अच्छा लगेगा * सुबह सूरज क्षितिज पर  अलसा रहा था  उषा-वसुधा-रश्मि को  भरमा रहा था  मिलीं तीनों, भाग नभ पर...

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नवगीत: भाग-दौड़ आपा-धापी है  नहीं किसी को फिक्र किसी की निष्ठा रही न ख़ास इसी की प्लेटफॉर्म जैसा समाज है कब्जेधारी को सुराज है अति-जा...

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नवगीत: अच्छा लगेगा आपको यह जानकर अच्छा लगेगा * सुबह सूरज क्षितिज पर अलसा रहा था उषा-वसुधा-रश्मि को भरमा रहा था मिलीं तीनों, भाग ...

geet: shrikant mishr 'kant'

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गीत : भारती उठ जाग रे !......  - श्रीकान्त मिश्र ’कान्त’ है कहां निद्रित अलस से  स्वप्न लोचन जाग रे ! ...
बुधवार, 19 नवंबर 2014

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नवगीत : जितने मुँह हैं उतनी बातें शंका ज्यादा, निष्ठा कम है कोशिश की आँखें क्यों नम हैं? जहाँ देखिये गम ही गम है दिखें आदमी लेकिन ब...

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नवगीत: जितने चढ़े उतरते उतने कौन बताये कब, क्यों कितने? ये समीप वे बहुत दूर से कुछ हैं गम, कुछ लगे नूर से चुप आँसू, मुस्कान निहारो ...

swagat geet:

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स्वागत गीत: शुभ नवगीत महोत्सव, आओ! शब्दब्रम्ह-हरि आराधन हो  सत-शिव-सुंदर का वाचन हो  कालिंदी-गोमती मिलाओ  नेह नर्मदा नवल बहा...

navgeet mahotsav lucknow: 15-16 navember 2014

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