दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

बुधवार, 29 अक्टूबर 2014

navgeet:

›
नवगीत: आओ रे! मतदान करो भारत भाग्य विधाता हो तुम शासन-निर्माता हो संसद-सांसद-त्राता हो हमें चुनो फिर जियो-मरो कैसे भी मतदान करो...
6 टिप्‍पणियां:

Indian black money inabroad

›
विदेशों में भारतीय धन : कालाधन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने तीन सीलबंद लिफाफे सौंपे। पहले में विदेशी खाताधारकों के नाम थे। द...

navgeet:

›
नवगीत: ज़िम्मेदार नहीं है नेता छप्पर औरों पर धर देता वादे-भाषण धुआंधार कर करे सभी सौदे उधार कर येन-केन वोट हर लेता सत्ता पाते ...

navgeet:

›
नवगीत: सुख-सुविधा में मेरा-तेरा दुःख सबका साझा समान है पद-अधिकार करते झगड़े अहंकार के मिटें न लफ़ड़े  धन-संपदा शत्रु हैं तगड़े परे...

navgeet:

›
नवगीत: देव सोये तो सोये रहें हम मानव जागेंगे राक्षस अति संचय करते हैं दानव अमन-शांति हरते हैं असुर क्रूर कोलाहल करते दनुज निबल...
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2014

kavita:

›
कविता: सफाई  मैंने देखा सपना एक  उठा तुरत आलस को फेंक  बीजेपी ने कांग्रेस के  दरवाज़े पर करी सफाई  नीतीश ने  भगवा कपड़ों का  ...

lekh: hindi ko lekar uthate sawal -dr. kuldeep chand agnihotri

›
हिन्दी को लेकर उठते सवाल डॉ. कुलदीप चन्‍द अग्निहोत्री       यायावर प्रकृति के डॉ. अग्निहोत्री अनेक देशों की यात्रा कर चुके हैं। उ...
सोमवार, 27 अक्टूबर 2014

navgeet

›
नवगीत: ऐसा कैसा पर्व मनाया ? मनुज सभ्य है करते दावा बोल रहे कुदरत पर धावा कोई काम न करते सादा करते कभी न पूरा वादा अवसर पाकर ...

doha salila:

›
दोहा सलिला : कथ्य भाव रस छंद लय, पंच तत्व की खान     पड़े कान में ह्रदय छू, काव्य करे संप्राण मिलने हम मिल में ग...
रविवार, 26 अक्टूबर 2014

nav kundaliya

›
नव कुण्डलिया  रात जा रही, उषा आ रही उषा आ रही, प्रात ला रही  प्रात ला  रही, गीत गा रही  गीत गा  रही, मीत भा रही    मीत  भा रही, जीत प...

nav geet:

›
नवगीत: चित्रगुप्त को पूज रहे हैं गुप्त चित्र आकार नहीं होता है साकार वही कथा कही आधार नहीं  बुद्धिपूर्ण आचार नहीं बिन समझे ह...

muktak:

›
मुकतक संवेदना का जन्मदिवस नित्य ही मने दिल से दिल के तार जुड़ें, स्वर्ग भू बने वेदना तभी मिटे, सौहार्द्र-स्नेह हो- शांति का वितान दस दि...
1 टिप्पणी:

bhasha setu: marathi-hindi

›
भाषा-सेतु  दिलीप चित्रे की कविता . ." अर्धसत्य"  अनुवाद:  चन्द्रकांत देवताले का चक्रव्यूह में धँसने के पहले कौन और कैसा था...
शनिवार, 25 अक्टूबर 2014

doha:

›
दोहा: कुछ अनुशासन बरतकर, क्यों न मने त्यौहार? मिटे मलिनता देश से,  कोई न हो बीमार धन-सम्पति जो दीन ने, विपदा हित ली जोड़ नष्ट मत करे- ...

soratha:

›
सोरठा : कचरा दिया बिखेर, साफ़-सफाई खूब कर नदी कर रहे पार, जैसे खुद ही डूब कर रूपए करोड़ों फूँक, फोड़ पटाखे हम रहे क्यों न दवाई बाँट, रोग...

shatpadee:

›
षट्पदी कचरा पीछे छोड़कर, गुजर गया है पर्व शर्म हमें इस पर बहुत, कैसे कर लें गर्व कैसे कर लें गर्व, न कचरा बिना हमने पूछें: गंदा जग क्यो...

kundalini:

›
कुंडली : उन्मन मन हैं शांत ज्यों, गुजर गया तूफ़ान तिनका सिकता का रहा, आँधी से अनजान आँधी से अनजान, दूब मुस्काकर बोली पीपल-बरगद उखड़े, कर...

muktak:

›
मुक्तक: हो रहा है आज खुद से खिन्न मन दिख रहा है नित्य से क्यों भिन्न मन? अजब ऊहापोह में है घिर गया - ख़ुशी से खुश हो हुआ विच्छिन्न मन ...

chiitragupt aur kayasth

›
'चित्रगुप्त ' और 'कायस्थ' क्या हैं ? विजय राज बली माथुर विजय माथुर पुत्र स्वर्गीय ताज राजबली माथुर,मूल र...

muktak:

›
मुकतक: मेरी आभा ले हरते हैं, दीपक जग से सघन अँधेरा सूर्य उगा करता है मेरी ड्योढ़ी का कर-कर पगफेरा आतप-बरखा, धूप-छाँव, सुख-दुःख, खेलें सं...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

योगदान देने वाला व्यक्ति

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava

:: संचालक मंडल ::

  • Divya Narmada
  • Manvanter Verma
  • Vivek Ranjan Shrivastava
Blogger द्वारा संचालित.