हिंदी दिवस पर विशेष गीत: सारा का सारा हिंदी है आचार्य संजीव 'सलिल' * जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम, कुचपुडी, गरबा अपना है. लेजिम, भंगड़ा, राई, डांडिया हर नूपुर का सपना है. गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, चनाब, सोन, चम्बल, ब्रम्हपुत्र, झेलम, रावी अठखेली करती हैं प्रति पल. लहर-लहर जयगान गुंजाये, हिंद में है और हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा सबमें प्रभु एक समान. प्यार लुटाओ जितना, उतना पाओ औरों से सम्मान. स्नेह-सलिल में नित्य नहाकर, निर्माणों के दीप जलाकर. बाधा, संकट, संघर्षों को गले लगाओ नित मुस्काकर. पवन, वन्हि, जल, थल, नभ पावन, कण-कण तीरथ, हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... जै-जैवन्ती, भीमपलासी, मालकौंस, ठुमरी, गांधार. गजल, गीत, कविता, छंदों से छलक रहा है प्यार अपार. अरावली, सतपुडा, हिमालय, मैकल, विन्ध्य, उत्तुंग शिखर. ठहरे-ठहरे गाँव हमारे, आपाधापी लिए शहर. कुटी, महल, अँगना, चौबारा, हर घर-द्वारा हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... सरसों, मका, बाजरा, चाँवल, गेहूँ, अरहर, मूँग, चना. झुका किसी का मस्तक नीचे, 'सलिल' किसी का शीश तना. कीर्तन, प्रेयर, सबद, प्रार्थना, बाईबिल, गीता, ग्रंथ, कुरान. गौतम, गाँधी, नानक, अकबर, महावीर, शिव, राम महान. रास कृष्ण का, तांडव शिव का, लास्य-हास्य सब हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... ट्राम्बे, भाखरा, भेल, भिलाई, हरिकोटा, पोकरण रतन. आर्यभट्ट, एपल, रोहिणी के पीछे अगणित छिपे जतन. शिवा, प्रताप, सुभाष, भगत, रैदास कबीरा, मीरा, सूर. तुलसी. चिश्ती, नामदेव, रामानुज लाये खुदाई नूर. रमण, रवींद्र, विनोबा, नेहरु, जयप्रकाश भी हिंदी है. हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है.... ****************************************

हिंदी दिवस पर विशेष गीत: सारा का सारा हिंदी है आचार्य संजीव 'सलिल' * जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है. हर हि...