दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

बुधवार, 10 मार्च 2010

गीत: ओ! मेरे प्यारे अरमानों --संजीव 'सलिल'

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गीत: ओ! मेरे प्यारे अरमानों संजीव 'सलिल' * ओ! मेरे प्यारे अरमानों, आओ, तुम पर जान लुटाऊँ. ओ! मेरे सपनों अनजानों- तुमको म...
रविवार, 7 मार्च 2010

बाल गीत: सोन चिरैया ---संजीव वर्मा 'सलिल'

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सोनचिरैया फुर-फुर-फुर,       उड़ती फिरती इधर-उधर.       थकती नहीं, नहीं रूकती.      रहे भागती दिन-दिन भर .     रोज सवेरे उड़ जाती.        ...
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नवगीत : चूहा झाँक रहा हंडी में... --संजीव 'सलिल'

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नवगीत : चूहा झाँक रहा हंडी में... संजीव 'सलिल' * चूहा झाँक रहा हंडी में, लेकिन पाई सिर्फ हताशा... * मेहनतकश के हाथ हमेशा र...
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शनिवार, 6 मार्च 2010

नवगीत: रंग हुए बदरंग --संजीव 'सलिल'

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नवगीत: संजीव 'सलिल' रंग हुए बदरंग, मनाएँ कैसे होली?... * घर-घर में राजनीति घोलती ज़हर. मतभेदों की प्रबल हर तरफ लहर. अँधिया...
शुक्रवार, 5 मार्च 2010

गुलाल प्यार से थोड़ा सा लगा दीजिए

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बच्चो के सपनो में,परियों की दुआ दीजिये विवेक रंजन श्रीवास्तव ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर जबलपुर बच्चो के सपनो में,परियों की...

नवगीत: आँखें रहते सूर हो गए --संजीव 'सलिल'

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नवगीत; संजीव 'सलिल' * आँखें रहते सूर हो गए, जब हम खुद से दूर हो गए. खुद से खुद की भेंट हुई तो- जग-जीवन के नूर हो गए... * सब...

जनमत: हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है या राज भाषा?

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चिंतन :  हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा है या राज भाषा? सोचिये और अपना मत बताइए: आप की सोच के अनुसार हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है या राज ...
गुरुवार, 4 मार्च 2010

सामयिक दोहे : संजीव 'सलिल'

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सामयिक दोहे :  संजीव 'सलिल' बजट गिरा बिजली रहा, आम आदमी तंग. राज्य-केंद्र दोनों हुए, हैं सेठों के संग. इश्क-मुश्क छिपते नहीं, ...
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सोमवार, 1 मार्च 2010

होली पर दोहे: --संजीव 'सलिल'

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होली का हर रंग दे, खुशियाँ कीर्ति समृद्धि. मनोकामना पूर्ण हों, सद्भावों की वृद्धि.. स्वजनों-परिजन को मिले, हम सब का शुभ-स्नेह. ज्यों ...
रविवार, 28 फ़रवरी 2010

होली गीत: स्व. शांति देवी वर्मा

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होली गीत: स्व. शांति देवी वर्मा होली खेलें सिया की सखियाँ होली खेलें सिया की सखियाँ,                        जनकपुर में छायो उल्लास.......
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नवगीत: फेंक अबीरा, गाओ कबीरा, भुज भर भेंटो... संजीव 'सलिल'

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नवगीत:   भुज भर भेंटो...   संजीव 'सलिल' * फेंक अबीरा, गाओ कबीरा, भुज भर भेंटो... * भूलो भी तहजीब विवश हो मुस्काने की....
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इंटरव्यू/संस्मरण:

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टेलीविजन एंकर बनूँगी ऐसा कभी सोंचा भी नहीं था - अल्का सक्सेना - पुष्कर पुष्प,  मीडिया खबर.कॉम ...

हैप्पी होली

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लगाते हो जो मुझे हरा रंग मुझे लगता है बेहतर होता कि, तुमने लगाये होते कुछ हरे पौधे और जलाये न होते बड़े पेड़ होली में। देखकर तुम्हारे हाथों मे...
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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

नवगीत: रंगों का नव पर्व बसंती ---संजीव सलिल

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नवगीत: रंगों का नव पर्व बसंती --संजीव सलिल * रंगों का नव पर्व बसंती सतरंगा आया सद्भावों के जंगल गायब पर्वत पछताया आशा पंछी...
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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

बाल कल्याण संस्थान खटीमा द्वारा आयोजित इण्डो नेपाल बाल साहित्तकार सम्मेलन , दिनांक २० , २१ फरवरी २०१० को संपन्न हुआ .

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मां पूर्णागिरि की छांव में , नेपाल की सरहद के पास ,हिमालय की तराई .. खटीमा , उत्तराखण्ड ...खटीमा फाइबर्स की रिसाइकल्ड पेपर फैक्ट्री का मनमोह...

गीत : सबको हक है जीने का --संजीव 'सलिल'

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गीत : संजीव 'सलिल' सबको हक है जीने का, चुल्लू-चुल्लू पीने का..... * जिसने पाई श्वास यहाँ, उसने पाई प्यास यहाँ. चाह रचा ले र...
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रविवार, 21 फ़रवरी 2010

भाषा,लिपि और व्याकरण :

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भाषा,लिपि और व्याकरण मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । अपने विचार , भावनाओं एवं अनुभुतियों को वह भाषा के माध्यम से ही ...

सामाजिक प्रश्न: एक चिंतन ---आचार्य संजीव 'सलिल'

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'गोत्र' तथा 'अल्ल'  'गोत्र' तथा 'अल्ल' के अर्थ तथा महत्व संबंधी प्रश्न राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद् ...
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शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

पठनीय रचना: शब्द मेरे हैं -प्रतिभा सक्सेना

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शब्द मेरे हैं अर्थ मैंने ही दिये ये शब्द मेरे हैं ! व्यक्ति औ अभिव्यक्ति को एकात्म करते जो , यों कि मेरे आत्म का प्रतिरूप धरते हों ! स...
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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

दोहे चुनाव सुधार के : --संजीव 'सलिल'

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दोहे चुनाव सुधार के : संजीव 'सलिल' बिन प्रचार के हों अगर, नूतन आम चुनाव. भ्रष्टाचार मिटे 'सलिल', तनिक न हो दुर्भाव. द...
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