दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

रविवार, 28 जून 2009

तीन गीतिकाएं : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

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गीतिका-१ तुमने कब चाहा दिल दरके? हुए दिवाने जब दिल-दर के। जिन पर हमने किया भरोसा वे निकले सौदाई जर के.. राज अक्ल का नहीं यहाँ पर ताज हुए हैं...
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गुरुवार, 18 जून 2009

नवगीत: हवा में ठंडक --सलिल

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सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ नवगीत आचार्य संजीव 'सलिल' हवा में ठंडक बहुत है... काँपता है गात सारा ठिठुरता सूर...
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श्रृद्धांजलि: अल्हड बीकानेरी - संजीव 'सलिल'

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हिन्दी-हास्य जगत को फ़िर से आज बहाना है आँसू। सूनापन बढ़ गया हास्य में चला गया है कवि धाँसू ।। ऊपरवाला दुनिया के गम देख हो गया क्या हैरां? नीच...
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बुधवार, 17 जून 2009

poem: plant a tree- Dr. Ram Sharma, Meerut.

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PLANT A TREE Plant a tree, become tension free, water it with care, no pollution will be there, birds will chirp, cool breeze will pup, it p...
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ग़ज़ल: मनु बेतखल्लुस, दिल्ली

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बस आदमी से उखडा हुआ आदमी मिले हमसे कभी तो हँसता हुआ आदमी मिले इस आदमी की भीड़ में तू भी तलाश कर, शायद इसी में भटका हुआ आदमी मिले सब तेजगाम...
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आरोग्य-आशा: स्व. शान्ति देवी वर्मा के नुस्खे

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इस स्तम्भ के अंतर्गत पारंपरिक चिकित्सा-विधि के प्रचलित दिए जा रहे हैं। हमारे बुजुर्ग इन का प्रयोग कर रोगों से निजात पाते रहे हैं। आपको ऐसे...
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सोमवार, 15 जून 2009

दोहा-अंजलि: सलिल

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हे हरि! तुम आनंद-घन, मैं चातक हूँ नाथ. प्यास मिटा दो दरश की, तब हो 'सलिल' सनाथ. दुनिया ने छल-कपट कर, किया 'सलिल' को दूर. नेह...
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कविता: शोभना चौरे

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कविता शोभना चौरे तार तार रिश्तों को आज महसूस किया| मैंने बार-बार सीने की कोशिश में अपने हाथों में सुई भी चुभोई| किन्तु रिश्तों की चादर और अध...
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शनिवार, 13 जून 2009

कविता: श्रीमती सरला खरे

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अनुरोध साहित्य तो रत्नात्मक है . सीमा नहीं क्षितिज पार है . मेरे तो क्षीण डैने(पंख) है . छूट गई हूँ सागर में . " साहित्य के "स...
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श्री प्राण शर्मा को जन्म दिन की बधाई

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प्राण बिन निष्प्राण सी लगती गजल. प्राण पा सम्प्राण हो सजती गजल. बहर में कह रहे बातें अनकही- अलंकारों से सजी रुचती गजल. गुजारिश है दिन-ब-दिन ...
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बाल-गीत: लंगडी खेलें... आचार्य संजीव 'सलिल'

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बाल गीत: लंगडी -संजीव 'सलिल' बाल गीत: आचार्य संजीव 'सलिल' आओ! हम मिल लंगडी खेलें..... * एक पैर लें जमा जमीं पर। रखें दूसरा थ...
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गुरुवार, 11 जून 2009

नव-गीत: आचार्य संजीव 'सलिल'

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भवनों के जंगल घनेरे हजारों... * कोई घर न मिलता जहाँ चैन सुख हो। कोई दर न दिखता रहित दर्द-दुःख हो। मन्दिर में हैरां मनाता है हरि ही हारा-थका ...
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मंगलवार, 9 जून 2009

दोहा-गीत संजीव 'सलिल'

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अभिनव प्रयोग: दोहा-गीत - संजीव 'सलिल',संपादक दिव्य नर्मदा तरु कदम्ब काटे बहुत, चलो, लगायें एक. स्नेह-सलिल सिंचन करें, महकें सुमन अने...
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दो नवगीत - पूर्णिमा बर्मन

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http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/purnimavarman.htm रखे वैशाख ने पैर रखे वैशाख ने पैर बिगुल बजाती, लगी दौड़ने तेज़-तेज़ फ...
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सोमवार, 8 जून 2009

कवि-नाटककार दिवंगत

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सहसा होता विश्वास नहीं...महाशोक कला जगत व साहित्य जगत के लिए ७ जून २००९ रविवार का दिन अत्यंत दुखद रहा. देश के जाने माने हास्य कवि ओम ...
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शनिवार, 6 जून 2009

मालवी कविता - बड़ा की बड़ी भूल

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ॐ  मालवी सलिला : * कविता बड़ा की बड़ी भूल बालमुकुंद रघुवंशी 'बंसीदा' * बड़ा-बड़ा घराणा की, बड़ी-बड़ी हे पोल। नी हे कोई में ...
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दोहे ;चन्द्रसेन 'विराट', इंदौर

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दोहे ; चन्द्रसेन 'विराट', इंदौर जहाँ देखिये आदमी, जहाँ देखिये भीड़। इसमें हम एकांत का कहाँ बनायें नीड़॥ दैत्य पसारे जा रहा, धीरे-धीर...
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गजल : कैलाशनाथ तिवारी, इंदौर

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गजल : कैलाशनाथ तिवारी, इंदौर सबका अपना नसीब होता है। कौन किसका हबीब होता है? आपको गुल नसीब होते हैं पर हमें तो सलीब होता है। कैसे इंसानों ...
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मालवी गीत ललिता रावल, इंदौर

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मालवी गीत ललिता रावल, इन्दौर फाग घणों पोमायो हे कली कचनार कन्हेर चटकी, फाग घणों पोमायो हे। मउआ ढाक कांस फुल्या, बसंत्या अगवानी में।...
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निमाड़ी कविता सदाशिव कौतुक, इंदौर

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निमाड़ी कविता सदाशिव कौतुक, इंदौर लड़ई मत लडो रे! भई लड़ई ने केको भलो करयो? लड़ई में अल्यांग को मरयो चाय वल्यांग को मरयो हात कटs कटsगा पांय ...
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