दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

शनिवार, 30 मई 2009

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

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चिन्तन कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती कल्पना श्रीवास्तव M.Sc. C/6 ,M.P.S.E.B. Colony रामपुर , जबलपुर , मोबाइल 9229118812 व्यक्...
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एक मुक्तक

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मुक्तक प्रो. सी. बी. श्रीवास्तव विदग्ध जिस घर की ईटें हैं जुड़ी गारे के प्यार से दीवारें हैं रंगी हुई शुभ संस्कार से उसमें कभी तकरार की आंधी ...
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शुक्रवार, 29 मई 2009

भारत के गांव

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भारत के गांव प्रो सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध सात्विक संतोषी बड़े भारत के सब गांव जिनकि निधि बस झोपड़ी औ" बरगद की छांव बसते आये हैं जहां अन...
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चौराहा

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चौराहा विवेक रंजन श्रीवास्तव आज रंगा है चौराहा भगवा रंग में रामनवमीं है आज कल ईद पर हरे रंग से सराबोर था चौराहा चुनावों के मौसम में तिरंगे द...
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जिज्ञासा

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जिज्ञासा विवेक रंजन श्रीवास्तव कैसे निकलता है चूजा अंडे को फोड़कर ? कैसे समा जाता है विशाल वट वृक्ष नन्हें से बीज में जानना चाहता हूं मै .
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गुरुवार, 28 मई 2009

सूक्ति सलिला : प्रो. भगवत प्रसाद मिश्र 'नियाज़' - संजीव 'सलिल'

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सूक्ति सलिला : प्रो. भगवत प्रसाद मिश्र 'नियाज़' - संजीव 'सलिल' * विश्व वाणी हिन्दी के श्रेष्ठ-ज्येष्ठ साहित्यकार, शि...
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ॐ वन्दना: स्व. शान्ति देवी वर्मा

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bhajan / vidayee-geet चलीं जानकी प्यारी चलीं जानकी प्यारी, सूना भया जनकपुर आज... रोएँ अंक भर मातु सुनयना, पिता जनक बेहाल. सूना भया जनकपुर ...
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काव्य-किरण: सरला खरे

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साहित्य-पीड़ा आहत है साहित्य करुण, करुणा का सागर है कवि। पावन बूँदें गिर रहीं तपती रेत पर ॥ * देश के घर-घर में साहित्य साहित्य के कर्णधार है...
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काव्य-किरण: चुटकी - अमरनाथ

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नव काव्य विधा: चुटकी समयाभाव के इस युग में बिन्दु में सिन्धु समाने का प्रयास सभी करते हैं। शहरे-लखनऊ के वरिष्ठ रचनाकार अभियंता अमरनाथ ने क...
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बुधवार, 27 मई 2009

लघु कथा:

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गुरु दक्षिणा - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' एकलव्य का अद्वितीय धनुर्विद्या अभ्यास देखकर गुरुवार द्रोणाचार्य चकराए कि अर्जुन को पीछे छोड...
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भाषा वैभव: मगही

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भाषा वैभव स्तम्भ के अर्न्तगत आप पड़ेंगे भारत की अपेक्षाकृत कम प्रचलित बोलियों की रचनाएँ। मगही किसी समय भारत से बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अं...
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हास्य हाइकु: मन्वंतर

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१ लाद दे भार जो होता नहीं भारी ले ले आभार॥ २ खाता है चारा घर होते रबडी लालू बेचारा॥ ३ करें विरोध संसद में विपक्षी हैं धृतराष्ट्र॥ *********...
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काव्य किरण: क्षणिकाएँ - देवेन्द्र मिश्रा, छिंदवाडा

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अहम्-१ मैंने पूछा- तुमसे हाल-चाल और मिला आगे बढ़कर हाथ। तुम इतराने लगे। मैंने पूछा- 'किस बात का अहम् तुम्हें?' तुमने कहा- 'बस, इ...
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मंगलवार, 26 मई 2009

लेख: डॉ. सी. जयशंकर बाबु, संपादक युगमानस

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हिंदी का हितचिंतन हिंदी के विकास के लिए कई आयामों पर चिंतन के साथ-साथ पूरी निष्ठा के साथ हमें...
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गीत - मनोज श्रीवास्तव , लखनऊ

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विरासत: भजन - स्व. शान्ति देवी वर्मा

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ठांडे जनक संकुचाएँ ठांडे जनक संकुचाएँ, राम जी को का देऊँ ?... हीरा पन्ना नीलम मोती, मूंगा माणिक लाल। राम जी को का देऊँ ? रेशम कोसा मखमल मलमल...
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काव्य-किरण

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क्षणिकाएँ सरला खरे, भोपाल जब देश पर विपत्ति आएगी तब काम आएगा विदेशी बैंकों में संचित किया धन॥ **************** देश जूझ रहा है, मंदी की मार ह...
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सोमवार, 25 मई 2009

काव्य किरण :

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एक शे'र आचार्य संजीव 'सलिल' जब तलक जिंदा था, रोटी न मुहैया थी। मर गया तो तेरही मे...
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poetry: डॉ. राम शर्मा, मेरठ

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MOTHER Mother, why have you gone away, why have you become so helpless, why your face is faded, why have you engulfed in darkness, the light...
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काव्य-किरण: गजल -मनु बेतखल्लुस. दिल्ली

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बस आदमी से उखडा हुआ आदमी मिले हमसे कभी तो हँसता हुआ आदमी मिले इस आदमी की भीड़ में तू भी तलाश कर, शायद इसी में भटका हुआ आदमी मिले सब तेजगाम ज...
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