tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post1326710835136508895..comments2024-03-02T15:49:04.728+05:30Comments on दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada : मुक्तिका: शुभ किया आगाज़ संजीव 'सलिल'Divya Narmadahttp://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-73800567910644532862013-02-28T16:19:03.533+05:302013-02-28T16:19:03.533+05:30अरुण जी!
आपकी सटीक टिप्पणियों हेतु आभार. ऐसे पाठको...अरुण जी!<br />आपकी सटीक टिप्पणियों हेतु आभार. ऐसे पाठकों से ही लिखने का उत्साह होता है. sanjiv verma 'salil'noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-60861414371952526062013-02-28T16:13:08.492+05:302013-02-28T16:13:08.492+05:30Saurabh Pandey
इस मुक्तिका के लिए सादर धन्यवा...Saurabh Pandey <br /> इस मुक्तिका के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीय.<br /><br /> मुझे गिरह निराले अंदाज़ का लगा है.<br /><br /> चाहता है हर बशर सीता मिले.<br /> बना खुद रावण, न बनता राम है.... वाह ! आज के आधुनिक युवाओं की खूब खबर ली आपने.<br /><br /> 'सलिल' ऐसी भोर देखी ही नहीं.<br /> जिसकी किस्मत नहीं बनना शाम है.. .. गहरी बात.. बहुत बहुत बधाई इस सचबयानी और फ़लसफ़े पर.. .<br /><br /> वैसे,<br /><br /> मुक्तिका भी अलहदी सी है विधा<br /><br /> कुछ ग़ज़ल है कुछ स्वयं का काम है .. .<br /><br /> इस मुक्तिका के लिए सादर धन्यवाद आदरणीयSaurabh Pandeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-83344794463122296712013-02-28T16:12:31.348+05:302013-02-28T16:12:31.348+05:30Arun Srivastava
वैसे आपकी लिखी किसी रचना के ... Arun Srivastava <br /><br /> वैसे आपकी लिखी किसी रचना के लिए तारीफ के शब्द कम पड़ जाएँ लेकिन फिर भी -<br /><br /> शुभ किया आगाज़ शुभ अंजाम है.<br /> काम उत्तम वही जो निष्काम है............... लगता है जैसे गीता का छंद अनुवाद पढ़ रहा हूँ ! वाह !<br /><br /> आँक अपना मोल जग कुछ भी कहे<br /> सत्य-शिव-सुन्दर सदा बेदाम है............ वाह ! अना का बेहतर शे'र ! खूब !<br /><br /> रूह सच की जिबह कर तन कह रहा<br /> अब यहाँ आराम ही आराम है.. .......... वाह ! गिरह लगाई आपने वो लगा तमाचे की तरह ! खूब !<br /><br /> तोड़ गुल गुलशन को वीरां का रहा.<br /> जो उसी का नाम क्यों गुलफाम है? ......... //अब रावण का नामकरण रघुनन्दन होता है// वाह !<br /><br /> भूख की सिसकी न कोई सुन रहा<br /> प्यार की हिचकी 'सलिल' नाकाम है.......... इस पर तो वाह भी नही निकल रही !<br /><br /> 'सलिल' ऐसी भोर देखी ही नहीं.<br /> जिसकी किस्मत नहीं बनना शाम है......... मसल को खूब ढाला है शे'र में ! वाह !Arun Srivastavanoreply@blogger.com