काव्य संकलन - चंद्र विजय अभियान (वर्ण क्रमानुसार)
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(देवनागरी वर्ण क्रम अनुसार)
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अखिलेश चंद्र गौड़, कासगंज २०-१०-१९५६/९४१२३ ०५१२५
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- अजय कुलश्रेष्ठ, एटा ०७.०६.१९६५/८८८१२ ०७८५३
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- अनिल जैन, दमोह २०.०६.१९६१/९६३०६ ३११५८ अंग्रेजी
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- अनुराधा गर्ग, जबलपुर २९.०४.१९६०/८१०९९ ७७१९९
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- अभिनंदन गुप्ता अभि 'रसमय', हरिद्वार १४.०४.१९५६/९५५७३ ७२००८
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- अमरेन्द्र नारायण, जबलपुर २१.११.१९४५/९४२५८ ०७२०० भोजपुरी
अमरेन्द्र नारायण
जन्म-२१ नवम्बर १९४५, मटुकपुर, भोजपुर,बिहार।
आत्मज- स्व.तारा देवी-स्व.श्री विनोद नारायण।
जीवनसंगिनी- श्रीमती आशा नारायण।
शिक्षा-बी.एस .सी .इलैक्ट्रिकल ईंजीनियरिंग।
कार्य- सेवा निवृत्त भारतीय दूर संचार सेवा और एशिया फैसिफिक टेलीकॉम्युनिटी।
प्रकाशित कृतियाँ- उपन्यास-संघर्ष,एकता और शक्ति, Unity and Strength,The Smile of Jasmine, Fragrance Beyond Borders
काव्य- श्री हनुमत् श्रद्धा सुमन, सिर्फ एक लालटेन जलती है, अनुभूति,थोड़ी बारिश दो;तुम्हारा भी,मेरा भी; उत्साह,तुम्हारा अभिनंदन।
जीवन चरित:पावन चरित-डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद
संपर्क- शुभा आशीर्वाद , १०५५ होशियार सिंह मार्ग, साऊथ सिविल लाइन्स,जबलपुर मध्य प्रदेश ४८२००१ ।
चलभाष- ९४२५८०७२००, ईमेल,amarnar@gmail,com .
उड़न खटोलवा
(भोजपुरी)
हमनीं के भेजले बानीं उड़न खटोलवा
चम चम चमकेला खटोला अनमोलवा
देसवा के बेटा बेटी देस में बनवले
भूख पिआस निंदिया भुलाईके खटोलवा
प्रेम के संदेसा लेके भारत के लोगवा के
सज के उड़ल मनमोहना खटोलवा
अँखियाँ टिकवले रहले देसवा के लोगवा
देखले उड़ान जब लिहलस खटोलवा
जिअरा जुड़वलस आ मुखड़ा हंसवलस
मान बढ़वलस दुलरूआ खटोलवा
आन-बान से उड़ल, अरमान से उड़ल
स्वाभिमान से उड़ल प्यारा प्यारा ई खटोलवा
पिया के संदेसा चंदा तूं ही पहुंचावेलऽ
प्यार के संदेसा पहुंचावता खटोलवा
ओनहूं से तनी मीठ बतिया पठावऽ
हमनीं के आगे भी त भेजब खटोलवा
तोहरे के ताकेला नू धरती के लोगवा
हाल बताई जाके उड़न खटोलवा
आस टिकवले निहारीं असमनवां के
तुहूं तनी भेजऽ आपन प्यार से खटोलवा
आदमी के बाटे इहां झुलसल हियरा
भेजऽ तूं संदेसा तनी मीठा मीठा बोलवा
जलन अगिन तूं बुझादऽ हर मनवां से
चैन तनी पावे इहां आदमी के चोलवा
उड़न खटोला के दुलार से तू रखिहऽ
हमनीं के प्रेम निसानी बा खटोलवा
नजर गुजर से बचइहऽ काली मईया
सजल धजल बा सलोना बा खटोलवा
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- अमित मिश्र, हरदोई १७.१०.१९७८/७८००३ ९१९६३
- अरविंद श्रीवास्तव 'असीम', दतिया, २९.६.१९५९/९४२५७ २६९०७
अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' (डॉ.)
दतिया, ९४२५७२६९०७
२९-६-१९५९
हिंदी सॉनेट सलिला में सहभागी।
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- अरुणा पाण्डे, जबलपुर ०१.०९.१९५८/९४२५३ ६३३६४
अवधी हरि, डॉ.
१७-७-१९६५
शिक्षक- साहित्यकार
कालीचरण इंटर कॉलेज, लखनऊ-२२६००३
चलभाष-९४५०४८९७८९
दोहे
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चंद्रयान थ्री ने किया, स्वप्न बड़ा साकार।
भारत को भी अन्ततः, मिला चाँद का सार।।
लगा तिरंगा चाँद पर,विस्मय में संसार।
विकसित भारत का प्रथम,चरण हो गया पार।
चंद्रयान की सफलता,देती यह पैग़ाम।
सतत परिश्रम का सदा, होता शुभ परिणाम।।
यूँ तो पाए चाँद का,और देश भी ज्ञान।
किंतु दक्षिणी ध्रुव वहाँ,बस भारत की शान।।
किया यान ने चाँद पर,अपना जहाँ क़याम।
गूँजेगा 'शिवशक्ति' अब, जग में उसका नाम।।
चंद्रयान के साथ जो, था 'रोवर प्रज्ञान'।
बढ़ा रहा अब चाँद पर,भारत का अभियान।।
भारत की यह सफलता,देती है विश्वास।
अंतरिक्ष विज्ञान का,होगा और विकास।
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- अवधेश सक्सेना, शिवपुरी २९-६-१९५९ /९८२७८३ २९१०२
- अविनाश ब्योहार, जबलपुर, २८.१०.१९६६/९८२६७ ९५३७२
* अविनाश ब्यौहार
जन्मतिथि- २८ अक्टूबर १९६६, उमरियापान कटनी। आत्मज- श्रीमती मीरा ब्यौहार-स्व.श्री लक्ष्मण ब्यौहार।
जीवन संगिनी- श्रीमती रचना ब्योहार।
शिक्षा- बी.एस-सी., आशुलेखन अंग्रेजी।
प्रकाशित कृति- हास्य कविता संग्रह: आंधी पीसे कुत्ते खाएँ, नवगीत संग्रह: कोयल करे मुनादी, पोखर ठोंके दावा, मौसम अंगार है।
पता-86 रायल एस्टेट, कटंगी रोड, माढ़ोताल,जबलपुर,मप्र।
मो-9826795372
*
नवगीत - चंद्रयान है
भारत की ऊँची उड़ान है।
ये इसरो का चंद्रयान है।।
उठा रहा
रहस्य से पर्दा।
उड़ाता है
शत्रु की गर्दा।।
विश्वगुरु सच में महान है।
कितनी तो
कर डालीं खोजें।
नदिया मिली
न उसकी मौजें।।
चाँद पर न खेत-खलिहान है।
जासूस है
प्रज्ञान रोवर।
बना लिया है
चंदा को घर।।
मानो सच्चाई विज्ञान है।
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- अस्मिता शैली, जबलपुर ११.१०.१९७७/८३०५० ९९७५५
- आशा जैन, सिहोरा २४.०९.१९५२/९७५४९ ७९८९९
- इंद्र बहादुर श्रीवास्तव, जबलपुर १४,०५.१९४७/९३२९६ ६४२७२
- उदयभानु तिवारी 'मधुकर', १८.०८.१९४६/९४२४३ २३२९७
- उमा जोशी, कुमायूँ ०९.०६.१९७३/९५३६३ १६२५६ कुमायूनी
- उषा वर्मा 'वेदना', जयपुर १२.३.१९४५/९९२८० ३०३७९
* उषा वर्मा "वेदना" *
जन्म-१२-३-१९४५ मुंबई।
आत्मजा- स्व. श्रीमती वीणा देवी वर्मा-स्व. श्री इंद्रचंद जी वर्मा।
जीवनसाथी- कनल सी पी वर्मा (रिटायर्ड)।
शिक्षा- कला स्नातक।
संपर्क- ९५, नेमीसागर कॉलोनी, क्वींस रोड,
वैशाली नगर, जयपुर ३०२०२१ (राजस्थान)।
चलभाष- ९९२८० ३०३७८ ।
Email : ushavarma12345@Gmai
*
चाँद हमारी बाहों में
*
चाँद आ गया आज हमारी बाँहों में,
खौफ छा गया दुनिया की निगाहों में,
यह गरीब देश कैसे जा पहुँचा चाँद पर,
जो साधन संपन्न थे, हुए होड़ से बाहर।
देने को तो दी हर देश ने हमको बधाई,
पर बात यह उनके समझ में जरा न आई,
होता जो कार्य सहमति से एकजुट होकर,
'मैं' से हटकर 'हम' की भावना को लेकर।
हम भारतीय करते हर कार्य जोश से,
आलस्य, ईर्ष्या नहीं हमारे शब्दकोश में,
यही लगन और दिल से होता है जो काज,
उसी से हम पहुँचे दोस्तों! चाँद पर आज।
दुनिया करती है अब हम पर नाज,
वैज्ञानिकों ने पहनाया भारत को ताज।
अब्दुल कलाम का स्वप्न हुआ साकार,
बीस वर्षों से था इस क्षण का उन्हें इंतजार।
चंद्रयान-३ ने यह कमाल कर दिखलाया,
चाँद के करीब अपनी धरती को वह लाया,
विक्रम ने किया कमाल, प्रज्ञान है चाँद पर,
आदित्य भी लगाएगा तिलक, सूर्य के भाल पर।
हो रहा गर्व, चाँद पर तिरंगा लहराया,
शान से कहो, चाँद को हमने ही पाया,
यह ऐतिहासिक क्षण कभी न भूल पाएँगे,
अब शुक्र, शनि पर भी विजय हम पाएँगे।
दुनिया ने मानी आज भारत की ताकत,
जय हो, जय हो, बधाई हो भारत।।
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- ओंकार साहू, दिल्ली १३.१२.१९७९/८८१७२ ४५८८०
- कनक लता जैन, गुवाहाटी ०७.०३.१९७७/८४७२९ २०७३०
- कनक लता तिवारी, मुंबई ०६.०६.१९५९/९०८२१ ६९५०४
- कमलेश शुक्ला, दमोह ०९.०८.१९६२/९८२६४ ८०५६४
- कृष्णकांत चतुर्वेदी, जबलपुर १९.१२.१९३७/९४२५१५७८७३
* कृष्णकांत चतुर्वेदी *
जन्म- १९ दिसंबर १९३७, जबलपुर मध्य प्रदेश।
आत्मज- स्व. ।
जीवनसंगिनी- डॉ. चंद्रा चतुर्वेदी।
शिक्षा -
संप्रति- पूर्व निदेशक कालिदास अकादमी मध्य प्रदेश, पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष संस्कृत-पालली-प्राकृत विभाग रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय जबलपुर।
प्रकाशित कृति - अथातो ब्रह्म जिज्ञासा, द्वैत वेदान्त तत्व समीक्षा, भारतीय परंपरा एवं अनुशीलन, आवेदान्त दर्शन की पीठिका, मध्य प्रदेश में बुद्ध दर्शन, क्रस्न-विलास, राधाभाव सूत्र, अनुवाक्, आगत का स्वागत तथा क्षण के साथ चलाचल।
संपर्क-
जबलपुर ।
चलभाष- ।
*
इसरो अष्टकम्
जयतु इसरोगाथा
(संस्कृत भाषा)
*
इसरो तु संस्था$स्माकं राष्ट्रस्य गौरवप्रदा।
अंतरिक्षविज्ञाने निरता शोधकर्मणि।१।
भारतसर्वकारेण स्थापनास्य कृता शुभा।
विक्रमसाराभाई वै प्रधानत्वे नियोजितः।२।
अन्तरिक्षविज्ञानतन्त्रभागे व्यवस्थितः।
बंगलूराख्यनगरे मुख्यकेन्द्रास्य वर्तते।३।
कृतं पूर्वाननेनैव बहवः कर्मसंग्रहाः।
आसन्सर्वे विकासाय मंगलायाभिवृद्धये।४।
नैके यन्त्रविमानाश्च प्रक्षिप्ताः गगनाङ्गणे।
सूचनातन्त्रलाभायसम्पर्कविधिवृद्धये।५।
सर्वत्रोपयोगित्वादन्यदेशादयो$पि च ।
सर्वदा सविनयेन याचन्ते $स्मत्सहायताम्।६।
योजना आर्यभट्टेति पूर्वमेव प्रवर्तिता।
आदित्य एलवनएकस्प्रेषितं तन्मण्डले।७।
विज्ञः सोमनाथेति विजयी प्रमुखो$धुना।
जयतु जयतु शश्वत् सुप्रतिष्ठां भजस्व।८।
इति इसरो अष्टकं सम्पूर्णम्
***
चंदजान जात्रा
(पालि भाषा)
*
वंदनं पठमं बुद्धं दुतिअं धम्मसंम्पदं।
तितियं संघसंथानं नमो बुद्धस्स सासनं।१।
चंदजानं तु उड्डत्ति गअने तिब्ब गइना।
मेघंप्पि पिट्ठतो दिट्ठं अनुकअणं कत्तुं गइं।२।
झंझाबिट्ठिप्पहाएण मग्गं तस्स रुद्धिअं।
तथापिअणवरुद्धं तस्स जात्रा पवत्तते।३।
तस्मिंस्तु एकैअं आर्बिटरं रोवरं लैंडरं
तितिअं चंदजानस्स् पक्खेपस्स काअणं किं।
चंदमंडलपूण्णस्स कइतोत्त्थि परिक्कमा।४।
पूब्बतोपि मंगलस्स पक्खेपस्स हि काअणं।
कक्खांं.कक्खांअतिक्कम्म निभ्भअं वज्जांग इव।५।
विग्गाणिऐ सावहिऐ जानस्स निम्मिती जाआ।
पतिभासामत्थजोएण सिट्ठिर्णव सुसृज्जिआ।६।
जदा अंतिमा कक्खां जानं तत्तुंसमुद्दतं।
तदा भारतवर्सस्स जनाःसव्वे सुचिंतिआ।७।
अंतओ संकअंं निबुत्तं जानस्स जात्राप्पि पुण्णा।
अउना तिट्ठइ जानं चंदस्स कोअले अंगे।८।
चंद जान जात्रा अट्टकं संपुण्णं
***
महत्त्व
(प्राकृत भाषा)
*
जयदु महाबीरोसुट्ठुजस्स पवत्ति
जयदु णम्मदा पुण्णतोया णदीसु।
जयदु चंदमा लख्खभूओ णराणां.
जयदु भारदिज्जौ जिदं चंदमा जेण अज्ज।१।
ण्णादिजणसणिद्धद्थि।भवंदि णिराबाधं द।
जयदु उत्साह हेतुअ गव्वभूओ णराणां।२।
चंदमा मज्झगओ जानं देण लक्खिदा सा धआ।
अम्हाणम्पिअ साअस्सं आसीअ हइअम्बआ।२।
भारदस्स धुजं भब्बं तिलंगं थापिअं तआ।
जाणस्स पअचिंहाणं तद्द सम्मअ लक्खिदंः।३।
एकब्ब सुअ संथाणं गज्जिदं भूइ मंडए।
भारथेण जिदं सब्बं जैदु जैदु जैदु मुआ।४।
सब्बे वैग्गाणिआ तद्द आल्लाहेण विप्फूइआ।
अणंदरं दु दुज्जणा मूईभूओ पितित्ठरे।५।
अम्हाणं नु जणा सच्चं उच्छाह रसमज्जिअं।
गाअंति नत्तंति सब्बे मंगअद्धुणि संजुदा।६।
अण्णे द्द्यु छ्रुदं सुक्खं अण्णदेइ घटाघटं।
लैण्डअं उड्डअं सुअं उद्दरद्छान्तछन्दणि।७।
आस्सा जाग्आ जाआ माणुसं तद्द गमिसस्सि।
एखा विषइणी वात्ता सिद्धंम्पि भइस्ससि।८।
इति प्राकृत अष्टकं सम्पूर्णम्।
***
यश अर्चन
(ब्रज भाषा)
भरी जयकार विश्व मंडल में भारत की बड़ौ जाने काम कियो कहा कह्यो जाय है,
सारे देश जग के जतन करि हार गये सीता के स्वयम्बर सी मची हाय हाय है।
चन्द्रमा की भूमि में गड़ी है दृष्टि लोभिन की चाहैं सबै भूमि बस हमे मिल जाय है,
तासें दौरि दौरि सब भाजि रहे वाही ओर चंद की कृपा ते बात मेरी बन जाय है।१।
जानें सभी सन्त वृन्द ब्रह्म चित्त सों है जन्म, तातै कान्त सुन्दर मनोज्ञ छबि धारे है,
जाय देखि कविता में खूब तेज धार चढ़ी, उपमा के बन्ध खोजि खोजि यहाँ डारे हैं।
अंतरिक्ष ज्ञानी देखें जाय भिन्न भावन ते , ग्रह एक बड़्यौ चन्द शोध के सहारे हैं;
देव चन्द्र बहुत पुराने हैं हमारे मित्र, प्राणन के प्राण जैसे सबके दुलारे हैं।२।
चारि अर्थ, विक्रम, प्रचंड वेग शक्तिन कौ, बल तेज भारत कौ सहज सुभाव है;
लक्ष भेदिबे की कला साहस प्रताप गुण, आदि महावीरन मे भरे बड़े भाव हैं।
निश्चय कियौ है चन्द्र मंडल में जावेंगे, जानेंगे वंहा पै काकौ कैसै का प्रभाव है;
हमारौ शुभ गौरव तिरंगा ताहि आगे करि प्रकट करेंगे बाको शुद्ध अनुभाव है।३।
***
मित्र मेरे चन्द्र
(हिंदी भाषा)
*
मित्र मेरे चन्द्र! तुम हो दूर इतने,
बात भी तो हो नहीं सकती वहाँ से।
चाहता हूँ, भुजा भर मैं भेंट कर लूँ,
किन्तु यह भी तो नहीं सम्भव यहाँ से।१।
हृदय गद् गद् प्राण उद्वेलित-प्रफुल्लित,
विगत सदियों की बड़ी घटना यही है।
विज्ञान विद्या पुंज, इनके सामने
विश्व बोना हुआ अब तो यह सही है।२।
खो गई थी विश्वव्यापी जो प्रतिष्ठा
दीप्त, वह स्वर्णाक्षरों में भरत जन में।
सोमनाथी शक्ति जाग्रत राष्ट्र-वैभव
ध्वनित है ब्रह्मांड के उज्ज्वल गगन में ।३।
कालिमा का अंश तुमको दिया विधि ने
हो रही चर्चा यही संसार में।
किन्तु हमने प्रणति पूर्वक मान मय
गौरव तिरंगा दिया प्रिय उपहार में।४।
शर-धनुष श्रीराम वंंशी कृष्ण की
बुद्ध शंकर वसन गैरिक पुण्यमय।
जो सभी था प्राप्त इस पावन धरा पर
दिया सविनय प्रणय विह्वल नेह तन्मय।।५।।
कर रहे वन्दन सदा से हम सभी
शरद रजनी के सुकोमल ज्योतिधर!
पूर्ववतस्मरणकरना आत्म जन का
होम परस्पर अनवरत हम प्रीति निर्भर।।६।।
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- कालिदास ताम्रकार, जबलपुर १२.११.१९६०/९८२६७ ९५२३६
- किरण सिंह, हैदराबाद १५.०८.१९५८/९४४०५ ७०४०८
- किरण सिंह 'शिल्पी', शहडोल १८.०८.१९६५/८८२७२ ११०२३
- कीर्ति मेहता 'कोमल', इंदौर १९.१२.१९७५/९१०९३ ३३३३४
- कैलाश कौशल, जोधपुर २८.०९.१९६०/९९२८२ ९४३३३
- गीता चौबे 'गूँज', बेंगलुरु ११.१०.१९६७/८८८०९ ६५००६
- गीता शर्मा, कांकेर २४.१०.१९५२/७९७४० ३२७२२
- गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल', कोटा १८-६-१९५५/७७२८८ २४८१७
गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’
जन्म- 18 जून 1955, जयपुर।
माँ- स्व. कृष्णप्रिया जी।
पिता- श्री बलभद्र शर्मा जी।
जीवनसाथी- श्रीमती ब्रजप्रिया।
शिक्षा- एम.कॉम.।
संप्रति- से.नि. अनुभाग अधिकारी
पता- ‘सान्निध्य’ 817, महावीर नगर-2,
कोटा (राजस्थान)- 324005;
चलभाष- 7728824817 ।
ई मेल- aakulgkb@gmail.com
*
गीत :
जय हो
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन जय हो।
भारत हुआ गौरवान्वित इसके हर जन की जय हो।
कलियुग में संगठित हुआ जो
विजय उसी ने पाई।
लगन सफलता की कुंजी है
असफलता नहिं भाई।
उतरा सकुशल चंद्रयान
फहराया वहाँ तिरंगा,
इसरो श्रेष्ठ सिद्ध हुआ
ऐतिहासिक कीर्ति लिखाई।
विश्व चकित हो देख रहा था उस पल क्षण की जय हो।
गीता, वेद, पुराण, उपनिषद्
ग्रन्थ सिद्ध भारत में।
मंत्र शक्ति से साक्षी है
ब्रह्मास्त्र बना भारत में।
शून्य दिया भारत ने वैदिक-
गणित सिद्ध भारत में।
उसी गणित से चंद्रारोहण
सिद्ध हुआ भारत में।
योग शान्ति के नायक की तकनीक चिरंतन जय हो।
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- चारु श्रोत्रिय, जावरा रतलाम ०४.०२.१९६७/९८२७३ ४२०६७ मालवी
- चेतना अग्रवाल, अहमदाबाद २७.११.१९७१/९०३३० ५९०१४
- चोवा राम वर्मा 'बादल', उड़ेला, भाटापारा २१.०५.१९६१/९९२६१ ९५७४७
- छगन लाल गर्ग, जीरावल सिरोही १३.०४.१९५४/७०७३८ २४९६९
- जयप्रकाश श्रीवास्तव, जबलपुर ०९.०५.१९५१/७८६९२ ९३९२५
- ज्योति जैन, कोलकाता २८.१.१९७४ /८१६७८ ८४४२७
- ज्वाला प्रसाद शांडिल्य 'दिव्य', हरिद्वार २६.०३.१९४३/९९२७६ १४६२?
- तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़ २३.८.१९८६ /९१०९६ ५९६४
- तृप्ति मिश्रा, हैदराबाद ०७.०७.१९७०/९४९० ९३२७२४
- दिनेश चंद्र प्रसाद 'दीनेश', कोलकाता ०५.११.१९५९/९४३४७ ५८०९३
- दिनेश दत्त शर्मा 'वत्स', गाजियाबाद १५.८.१९३९/९३११५ ०२७६९
* दिनेश दत्त शर्मा 'वत्स' *
जन्म - १५ अगस्त १९३९ गाज़ियाबाद।
आत्मज - स्व. विद्यावती शर्मा-स्व. जगत प्रकाश शर्मा ।
शिक्षा - विग्यान स्नातक, रासायनिक अभियंत्री स्नातक।
संप्रति - औद्योगिक परामर्शदाता , सर्वेक्षक और हानि निर्धारक बीमा निगम।
संपर्क - ५६ छत्ता मोहल्ला, देहली गेट, गाज़ियाबाद २०१००१ ।
चलभाष - ९३११५ ०२७६९ ।
*
चंद्र विजय प्रतिक्रिया
(बतर्ज वॉयसकोप)
हिंद, सारा भाईयों का विक्रम तो देखिए।
चातुर्वर्षीय व्रत का पारण भी देखिए।।
विज्ञान कौशल का प्रदर्शन तो देखिए।
चंद्रतल पर यान का अवतरण भी देखिए।।
विजय के क्षणों का आनंद तो देखिए।
सोमनाथ के गणों का नर्तन भी देखिए।
चंद्र तल पर इसरो का लोगो तो देखिए।
चंद्र-जय पर राष्ट्र का उन्नत सिर देखिए।
विदेशी विधर्मियों का रोदन तो देखिए।
सनातन सभ्यता का, शोभन भी देखिए।।
*
क्या कहा?
बहुत सुंदर दीखती है,
पृथ्वी चंद्र तल से।
चंद्रमा भी तो बहुत सुंदर
दीखता है धरा तल से।
निकट जाकर देखते हैं
तो भरा मुख चेचकी विवरों से।
चंद्र तल पर पहुँच कर
मत भूलना तुम ,
है भरा मुख , इस धरा का
दैन्य दुर्बलता अभावों से।
मत भूलना हो प्रभावित ,
अल्प गुरुत्वाकर्षण जनित
चंद्र तल भारहीनता से।
इस धरा पर भार है
गगन की ऊँचाई में
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन जनित
प्रदूषित वायु से।
*
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- दुर्गा नागले, जबलपुर २९.०३.१९६८/९७७०४ ०६०१०
- देवकांत मिश्र ;दिव्य', भागलपुर १२.१२.१९७५/८२९८७ २०२५४
- देवकी नंदन 'शांत, लखनऊ ०१.०३.१९४५/८८४०५ ४९२९६ उर्दू
- नवनीता चौरसिया, जावरा रतलाम २४.०९.१९७२/९४०६६ ३६१३१
- नारायण श्रीवास्तव, करेली, नरसिंहपुर, ०१.०८.१९५१/९४२५८ १५९३३
नारायण श्रीवास्तव
पिताजी- स्व. दशरथ प्रसाद श्रीवास्तव।
जन्म- ०१ अगस्त १९५२, कनवास,
जिला - नरसिंहपुर (म.प्र.)।
शिक्षा - एम.ए. अर्थशास्त्र।
संप्रति - से. नि. उप मंडल अधिकारी
भारत संचार निगम लिमिटेड।
संपर्क - २२२, 'सृजन' साकेत नगर,
करेली, नरसिंहपुर मध्य प्रदेश ।
चलभाष - ९४२५८ १५९३३ ।
प्रकाशित कृतियाँ - ५ ।
*
भारत महान
सोलह कलाओं को
छोड़कर पीछे
वह चंद्र यान तीसरा
बैठ गया शशि के
दक्षिणी भाग पर
लहराता तिरंगा लेकर
सूरज के आते ही।
उसके कान सुनते हैं
भारत की सांकेतिक भाषा,
वह देखता है
भारत की चमकती ऑंखों से
चन्द्रमा के आर-पार।
करता है स्पर्श
भारत की ॲंगुलियों से
हौले-हौले चलकर सजग
शिव शक्ति स्थल से,
सभी दिशाओं को
ताकता है तत्पर,
वाकई भारत की
टकटकी लगाए
कोटि कोटि नेत्रों की
उत्साही भावनाओं से।
हमारा अभिमान
नूतन अभियान
कल्पनाऍं करता
साकार लगातार।
सफल तीसरा चन्द्रयान
भारत महान सदा गतिमान.
*
- निर्मला कर्ण, राँची ०४.०३.१९६०/९४३१७ ८५८६०
- नीता नय्यर 'निष्ठा', रानीपुर हरिद्वार ३०.०१.१९५७/९८९७२ ०६५४५ अंग्रेजी
- नीता शेखर 'विषिका', राँची ९५०७५ ५४५६८
- नीलम कुलश्रेष्ठ, गुना ०३.०८.१९७१/९४०७२ २८३१४
- नूतन गर्ग, दिल्ली ०३.१०.१९६८/८७००६ ९४५३५
- पाण्डे चिदानंद 'चिद्रूप', वाराणसी ०९.०४.१९७७/७५२५० ९९३९९ भोजपुरी
- पुष्पा जमुआर, पटना ०५.०१.१९५६/९८०११ ९८४३३
- पुष्पा पांडे, राँची ०४.०२.१९६०/९४३१७ ०८७५०
- पुष्पा वर्मा, हैदराबाद ०४.०३.१९४६/९३९४८ ८३८९९
- पूनम चौहान, बिजनौर १५.०४.१९६७/९२५८७ ५६२२१
- प्रणति ठाकुर, कोलकाता २३.०४.१९७४/९८७४८ ६४१६९
- प्रताप सिंह राहुल, सतना २०.०१.१९८९/८१२१४ ८७२३२
- प्रियदर्शिनी पुष्पा, धनबाद ०५.०९.१९७९/७९०३६ ४४८५७
- बसंत शर्मा, बिलासपुर ०५.०३.१९६६/९४७९३ ५६७०२
- बहादुर सिंह बिष्ट 'दीपक', २२.०५.१९८२/ कुमायूनी
- बाबा कल्पनेश, १८.१०.१९५८/८७६५१ ९४७७३
- भावना पुरोहित, अहमदाबाद २२.११.१९६०/९७०१८ ०८५१७ गुजराती
- मगन सिंह जोधा, आबूरोड सिरोही, १५.०३.१९६८ राजस्थानी
- मदन श्रीवास्तव, जबलपुर ०३.११.१९५१/९२२९४ ३६०१०
- मधु प्रधान, मुंबई २६.१२.१९५०/९९६९२ १२३४४
- मनीषा सहाय, जबलपुर १९.०२.१९७५/७७६२९ ३९६५७
- मनोज शुक्ल 'मनोज', जबलपुर १६.०८.१९५१/९४२५८ ६२५५०
- मनोहर चौबे 'आकाश', जबलपुर २०.०८.१९५०/९८९३० २३१०८
- महेंद्र नाथ तिवारी 'अलंकार', वाराणसी ०१.०६.१९५६/९४५४७ २९८९३
- मीना घुमे 'निराली', लातूर ०५.०९.१९७८/९६८९१ ९०७२९ मराठी
- मीना भट्ट, जबलपुर ३०.०४.१९५३/७९७४१ ६०२६८
- मीना श्रीवास्तव, ग्वालियर १५.०६.१९६५/७०४९ ०३५५५५
- मीनाक्षी गंगवार, लखनऊ १४.११.१९७८/९४५०४ ६८९४१
- मीनू पाण्डेय 'नयन', भोपाल १८-०३.१९७३/७९८७१ ४१०७३
- मुकुल तिवारी, जबलपुर ०१.०७.१९६१/९१३११ ०९४१४
- रजनी शर्मा, रायपुर १४.०३.१९६७/९३०१८ ३६८११ हलबी
- राजलक्ष्मी शिवहरे, जबलपुर२२.०२.१९४९/९९२६८ ७०१०३
जन्म- २२-२-१९४९, गोंदिया, महाराष्ट्र।
माता जी- स्व.चन्द्रकला गुप्ता।
पिता जी- स्व. शशिकुमार गुप्ता।
जीवनसाथी- डॉ.आर.एल.शिवहरे।
शिक्षा- एम.ए., पी.एच.डी.।
सम्प्रति -पूर्व शिक्षिका, पूर्व सदस्य हिंदी
सलाहकार समिति संस्कृति मंत्रालय ।
प्रकाशित कृतियाँ- २५
पत्रिका शब्द साधन द्वारा विशेषांक।
विदेश यात्रा- अमेरिका,लंदन,दुबई,श्रीलंका।
संपर्क- धन्वन्तरी नगर, जबलपुर,
मध्य प्रदेश।
*
चन्द्रयान - ३
इसरो ने इतिहास रच दिया,
चन्द्रमा पर यान उतार दिया।
विक्रम पर नजर टिकी थी
किसी सुंदरी की तरह
धीमे-धीमे उतर रहा था
जब चन्द्रयान।
इसरो के वैज्ञानिक उछल पड़े
जब उनकी साधना सफल हुई।
विश्व भारत की सफलता पर
बधाइयाँ दे रहा था।
रोवर ने पूछा विक्रम से
क्या मैं घूमने जाऊँ?
और विक्रम ने कहा--
जाओ पर सम्पर्क में रहना।
यह सुन चमत्कृत हुआ संसार।
धन्य धन्य इसरो कहकर
हम शीश झुकाते हैं।
सफलता हमेशा साथ हो आपके
यह शुभकामनाएँ देते हैं।
*
--------------------------------------
- राधेश्याम साहू, जमनीपाली कोरबा ०३.०६.१९७६/८३१९७ ४५८९८
- रानी दाधीच, जयपुर २५.०४.१९८०/८३६७८ ८४२००
- रामस्वरूप साहू, कल्याण ०१.०६.१९४९/९३२३५ ३८०१०
- रीना प्रताप सिंह, बिजनौर २६.०३.१९७८/९४१०४ ३२५७४
- रेखा श्रीवास्तव, अमेठी ११.०९.१९६०/९४५०७ ७४२०२
रेखा श्रीवास्तव
जन्म- ११-९-१९६०, सुल्तानपुर उ.प्र.।शिक्षा- एम.ए. (हिंदी), बी.एड., डी.फिल.।
संप्रति- पूर्व प्राचार्य स्नातकोत्तर
महाविद्यालय।
प्रकाशित कृति- २।
हिंदी सॉनेट सलिला में सहभागी।
संपर्क- कटरा, लालगंज ठाणे के सामने,
वार्ड १ , गौरीगंज, अमेठी २२९४०९ ।
चलभाष- ९४५०७७४२०२ ।
ईमेल- igpgamethi9@gmail.com।
*
चाँद पर भारत
चंद्र लोक भारत का डंका।।
मन में अब कछु रही न शंका।।
सतत प्रयास सफलता पाई।।
अमर हो गए साराभाई ।।
कमाल किया है तकनीकी ने।।
सतीश धवन की रणनीति ने ।।
चाँद धरा परचम लहराया।।
जन-गण-मन फिर सबने गाया ।।
भारत ने चंदा को चूमा।।
सारा देश खुशी से झूमा।।
चीन रूस ने लोहा माना।।
पाकिस्तान हकीकत जाना ।।
दक्षिण ध्रुव पहुँचा है पहले।।
विश्व चकित चाहे कुछ कह ले ।।
प्रज्ञान हमें चित्र भेजता।।
पल-पल विस्मय को सहेजता ।।
इसरो को है खूब बधाई।।
उनकी मेहनत रंग लाई।।
निष्ठा लगन और चतुराई ।।
भारत की तब महिमा गाई ।।
बहनों की थी भूमिका अहम।।
टूट गया दुश्मनों का वहम।।
भारत की यह सफलता, हमको दे संकेत ।।
सूरज से भी हम मिले,यही हो अभिप्रेत ।।
(छंद: चौपाई, दोहा)
- रोशनी पोखरियाल, चमोली १३.०२.१९७७/७३०२६ ०६९३२
- वरुण तिवारी, गुना २०.०९.२००१/८८७१८ ३९८१८
- वसुधा वर्मा, ठाणे ०५.०९.१९५७/९८३३२ ३२३९६
- विजय लक्ष्मी 'विभा', प्रयागराज २५.०८.१९४६/७३५५६ ४८७६७
- विजय शंकर 'विशाल', बसना महासमुंद २३.०५.१९७४/९६६९४ ७१२७४ संबलपुरी
- विनोद जैन 'वाग्वर' सागवाड़ा १७.०९.१९६८/९६४९९ ७८९८१
- विपिन श्रीवास्तव, दिल्ली ०२.०९.१९८०/९८२६२ ७६३६४ बुन्देली
- विष्णु शास्त्री 'सरल', चंपावत उत्तराखंड ०८.०५.१९५७/९४११३ ४७९३४
- वीणा कुमारी नंदिनी, जमशेदपुर
- वैष्णो खत्री 'वेदिका', जबलपुर १९.०३.१९५८/७९९९९ ६१८६०
- वृंदावन राय 'सरल', सागर ०३.०६.१९५१/७८६९२ १८५२५
बृंदावन राय सरल सागर एमपी
"चन्द्रारोहण पर रचना "महा भुजंग प्रयात सवैया छंद)
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पड़ा पाद है आज प्रज्ञान का तो, बना चन्द्रमा बंधु कुटुम्ब प्यारा।
रहा श्रेष्ठ संबंध मामा हमारे, धरा भेज दी सूत्र रक्षा सितारा। ।
इसी माह में सूत्र का पर्व होता, धरित्री चली बाँधने सूत्र न्यारा।
प्रतीक्षा सदा स्वाद मिष्ठान होता, रहा भेज प्रज्ञान संदेश द्वारा। ।
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नभ लाँघन को अस चाल चला, बल विक्रम ले प्रगयान सितारा।
अब दूर नहीं अब दूर नहीं, रटता रटता पहुँचा नभ प्यारा। ।
शशि पे उतरा तब है दिशि दक्षिण विश्व जयी यह यान हमारा।
बल बुद्धि भरा पृथिवी सुत ये, ननिहाल चला प्रगयान दुलारा। ।(सुन्दरी सवैया )
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- शन्नो अग्रवाल, लंदन ०९.१२.१९४७/८१६७८ ८४४२७
- शशि त्यागी, अमरोहा २८.०३.१९५६/९०४५१ ७२४०२
* शशि त्यागी
जन्म- २८ मार्च १९५९।
आत्मजा-
जीवनसाथी-
शिक्षा- बी. ए. (ऑनर्स), एम. ए. हिंदी,
बी.एड., प्रभाकर (गायन)।
सहभागी - दोहा दीप्त दिनेश ।
संप्रति- से.नि. शिक्षिका ।
संपर्क - ३८ अमरोहा ग्रीन, जोया रोड,
अमरोहा चलभाष - ९०४५१ ७२४०२ ।
बाल गीत
चाँद हाथ में
*
साथ-साथ भागता था चाँद रात में,
पकड़ में न आता था चाँद हाथ में...
कहानियों में एक दिन बात एक चली,
आकाश नापने की एक योजना बनी,
हो गए एकत्र सभी विज्ञ-ज्ञानवान,
और फिर बना लिया मिलकर प्रज्ञान,
ठाना चाँद पर चरण रखेंगे एक दिन,
किन्तु पहुँचना कठिन है रोवर के बिन,
होते हैं सफल सभी जब हों साथ में...
मास था अगस्त सूर्य घर को था चला,
साध अपना लक्ष्य चंद्रयान उड़ चला,
दक्षिण के छोर यान सोच में पड़ा,
बोला चाँद,"आजा! क्यों दूर तू खड़ा?"
एक-एक पल लगी थी नभ में टकटकी,
सारी दुनिया ताक रही थी खड़ी-खड़ी,
इसरो की आस अटकी श्वास-श्वास में...
साध गति चंद्रयान हो गया खड़ा।
विकास का पग नवीन एक यूँ बढ़ा,
असंख्य तालियों से विश्व गूँजता मिला,
गर्व से विक्रम हृदय खोलकर मिला,
धीरे-धीरे दाएँ-बाएँ झाँकता चला,
अशोक चक्र चरण चिह्न छापता चला,
मंगल हो! शशि "शिव-शक्ति" साथ में...
*
----------------------------------------
- शालिनी त्रिपाठी 'शालू', फरीदपुर १६.०९.१९९५/७९८५१ १७८७८
- शिखा सेन, इंदौर १४.०९.१९६५/९८२६३ २०९५५
- शिप्रा मिश्रा, बेतिया चंपारण १६.०६.१९६९/९४७२५ ०९०५६
- शिप्रा सेन, जबलपुर१४.०७.१९६१/ ७७४८९ ८०५३३ बांग्ला, हिंदी, अंग्रेजी
- शिव कुमार पाटकार, तेंदूखेड़ा, नरसिंहपुर १७.०७.१९८२/९४०७३ ०५७४६
- शिव नारायण जौहरी, भोपाल ०३.०१.१९२६/९९८१५ ०७०१२
* शिवनारायण जौहरी 'विमल'*
जन्म- ३ जनवरी १९२६, शाजापुर, मध्य प्रदेश। आत्मज- स्व. हरनारायण जौहरी ।
शिक्षा - बी.एस-सी., बी.ए., एल-एल.एम., साहित्य रत्न,
विशेष- कारावास प्राप्त स्वतंत्रता सत्याग्रही।
संप्रति- सेवानिवृत प्रमुख विधि सचिव, न्यायाधीश।
प्रकाशित कृति - रूपा खंड काव्य, काव्य संग्रह: अंतर्मन के साथ, जिजीविषा, त्रिपथगा, क्षितिज से, प्रपात।
संपर्क- २४/ डी के देवस्थली फेज टू, बाबडिया कला रोड,
दाना पानी रेस्टोरेंट के पास, भोपाल।
चलभाष- ९९८१५ ०७०१२ ।
*
चंदा मामा
धरती माँ अपने लाल को
आधुनिक यान में बैठाकर
ले आई चाँद मामा के घर
जिसको पकड़ने के लिए
जब गोद में था,
मचलता रहता था।
जब मैं पानी में हाथ डालकर
चाँद मामा को पकड़ना चाहता था
पानी बुलबुले होकर मुझे
चंदा की पकड़ से
मिलने नहीं देते थे,
माँ की सभी तरकीबे
असफल हो जाती।
बालक को दिखाया
ये तुम्हारा चाँद मामा है
उसने आश्चर्य से देखा
न वहाँ चाँदनी थी, न कोई घर
न जल था, न जीवन
न पेड़-पौधे, न घास
न फल, न फूल, न रंगीनियाँ।
केवल पत्थर थे, धूल थी,
पहाड़ थे, गढ़े थे
सोचने लगा मैं, न सुगंध है
न कोई हरित आभा,
हर चीज से विद्रोह
न प्यार, न आश्वासन, न अपनापन
मिट्टी से खेले, क्या करें
जब पानी ही नहीं तो
किस उम्मीद पर
जीवन के जो बचे घंटे है
उन्हे कैसे काटें थोड़े समय में
इस तरह यही मर जाने से
तो अच्छा है
घर लौट चले अब।
माँ! अब मुझे चंदा नहीं पकड़ना
ले चलो वापस वहीं
जहाँ से तुम ले आई हो
इस चंद्रमा के पास।
*
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- शुचि भवि, भिलाई २४-११-१९७१/९८२६८ ०३३९४
शुचि 'भवि'
जन्म- २४ नवंबर 1971।
आत्मजा- श्रीमती सुदेश क्षत्रिय-डॉ.त्रिलोकी नाथ क्षत्रिय।
शिक्षा - एम.एस. सी.(इलेक्ट्रॉनिक्स,गोल्डमेडलिस्ट), एम. ए. ( हिंदी), बी.एड.।
सम्प्रति - अध्यापन, विभागाध्यक्ष (भौतिकी)।
प्रकाशित कृतियाँ - मेरे मन का गीत, बाँहों में आकाश (दोहा सतसई), सबसे अच्छा काल (बाल दोहा शतक), ख़्वाबों की ख़ुश्बू" (काव्य संग्रह), आर्यकुलम् की नींव"(महर्षि दयानंद दोहा शतक), मसाफ़त-ए-ख़्वाहिशात" (ग़ज़ल संग्रह), सबमें हैं जगदीश" ( नानक चालीसा), ज़र्द पत्ते और हवा" (लघुकथा संग्रह), हेतवी" (उपन्यास), छंद फ़ुलवारी(छंद संग्रह)
संपर्क- बी-५१२,सड़क-४,स्मृति नगर,भिलाई नगर ४९००२०,छत्तीसगढ़ चलभाष- ९८२६८०३३९४,ई-मेल shuchileekha@gmail.com
*
माहिया
****
चंदा तो मामा है
इसरो ने सोचा
मामा घर जाना है
भारत माँ का परचम
हम लहरायेंगे
सूरज तक जायेंगे
इसरो का यह श्रम है
दक्षिण ध्रुव पर जो
चंदा के भारत है
ऊँची कितनी भर ली
नासा भी हतप्रभ
उड़कर चंदा पँहुची
वो मान बढ़ाते हैं
बन वैयानिक जो
इसरो में आते हैं
जब-जब हमने ठाना
अव्वल आये हम
दुनिया ने यह जाना
विक्रम जब चलता है
ठुमक-ठुमक देखो
कितना कुछ मिलता है
प्रथमम ही प्रथमम
सब जान गए देखो
भारत में कितना दम
गर्वित है आज सदी
जिसने यह देखा
चंदा पहुँची धरती
जब हाथ मिलें ऐसे
इसरो जीतेगा
जब साथ मिलें ऐसे
वैज्ञानिक भारत के
शोभा नासा की
इसरो के भी मनके
*
शान मेरी और आन बान, चँद्रयान सँग
देश लिख रहा नया विधान, चँद्रयान सँग
बात गर्व की बहुत है पहुँचे हम भी चाँद पर
अब वहीं बने नया मकान,चँद्रयान सँग
अंतरिक्ष में भी बन रहे हैं हिन्द के निशां
आप देखें अब हमारी शान ,चँद्रयान सँग
तुम छुपाओ लाख किंतु, हमको चाँद है यकीं
राज़ सारे हम भी लेंगे जान , चँद्रयान सँग
खोज अब करेंगे हम, नई नई जो चाँद पर
भूल ‘भवि’ न पाएगा जहान, चँद्रयान सँग
*
---------------------------------------
- शैलजा दुबे, बिलखड़ एटा ०१.०१.१९७६/९७१९१ ९५४८२
- संगीता नाथ, धनबाद ९४३१११६८९८
संगीता नाथ डॉ. ,धनबाद
चंद्रयान पर तीन मुक्तक
चंद्र यान को मिली सफलता,इसरो ने इतिहास रचा,
चंद्र भूमि पर गाड़ तिरंगा,दिया विश्व में धूम मचा।
भारत के वैज्ञानिक चमके, विश्व पटल पर बन दिनकर,
यह प्रज्ञान विजय उत्सव है,गौरव से मस्तक ऊँचा।
देख पराक्रम विक्रम का,जग सारा हैरान हुआ,
दूर व्योम पर चमक उठा जब,शिव शक्ति अभिज्ञान मिला।
धैर्य परिश्रम प्रज्ञा संयम,लक्ष प्राप्ति के संसाधन,
स्वप्न हुआ साकार देश का,सफल वृहत अभिज्ञान हुआ।
रोवर ने जलवा दिखलाया,औ मेधा ने बाजी मारी,
चाँद पर लैंडर टहल रहा है,सूरज की है तैयारी।
आज मनीषा भारत की नव,गढ़ने फिर आयाम चली,
अमर तिरंगा हुआ चाँद पर,गगनयान की अब बारी।
- संगीता भारद्वाज, भोपाल २०.०८.१९६७/८८८९५ ५८८८५
- संजीव वर्मा 'सलिल',जबलपुर २०.०८.१९५२/९४२५१ ८३२४४
चलें चाँद की ओर २
शन्नो जी! आमंत्रण आएँ, चलें आप भी साथ
इस दल का हो या उस दल का; नेता का ले नाम
मनमानी करते हैं हम सब चलें उठाकर माथ
डरते नहीं पुलिस से लाठी का न यहाँ कुछ काम
घरवाली थी चंद्रमुखी अब सूर्यमुखी विकराल
सात सात जन्मों को बाँधे इसीलिए हम भाग
चले चाँद की ओर बजाए घर पर बैठी गाल
फुर्र हो रहे हम वह चाहे जितनी उगले आग
बहुत घूम-रह लीं विदेश में, अब लंदन दें छोड़
चलें मून शिव-शक्ति वहीं पर छान रहे हैं भाँग
जल्दी करिए जाने वालों में मचना है होड़
छह के कंधे पर छह बैठें, नहीं अड़ाएँ टाँग
चलें व्यंजना के सब साथी व्यंजन लाएँ खूब
खाकर अमिधा और लक्षणा में गपियाएँ डूब
***
सॉनेट
इसरो
•
इस रो में कोई नहीं,
इसरो जैसा अन्य है,
जिस रो में इसरो खड़ा,
वह रो सिर्फ अनन्य है।
चंदा मामा दूर के,
अब लगते हैं पास के,
टूरा-टूरी टूर पे,
जाएँ लब पर हास ले।
धरती रक्षा-सूत्र ले,
भेजे चंदा बंधु को,
विक्रम उतरा आस ले,
लिए भू पर मृदा को।
जय जय जय तकनीक की।
भारत माँ की जीत की।।
२३-८-२०२३
•••
सॉनेट
सुनो परिंदो!
•
सुनो परिंदो! भरो उड़ानें,
नील गगन तक रहो न सीमित,
पा सकते जो भी हम ठानें,
तकनीकों से होकर बीमित।
सुनो परिंदो! सपने देखो,
कोशिश कर साकार भी करो,
सफल न हो तो त्रुटियाँ लेखो,
गलती का परिहार भी करो।
सुनो परिंदो! चंद्र पर चलो,
कलरव कर सूनापन हर लें,
सपना बनकर नयन में पलो,
कल रव कर नवजीवन वर दें।
किलकिल करो न कभी परिंदो!
हिलमिल रहना सभी परिंदो।
२५-८-२०२३
•••
मैया! मैं तो चंद्र खिलौना लैंहौं।
गुड्डा-गुड़िया तनिक नें भावें, रॉकेट एक मँगैहौं।
कालिंदी के तीर नें जैहों, इसरो मोय पठैहौं।
ग्वाल-बाल मिल तंग करत हैं,
ऑर्बिट में पहुँचैहौं।
बरसानेवारी राधा खों, लैंडर में ले जैहौं।
रोवर बैठ चंद्र पै मैया! डेली रास रचैहौं।।
३०-८-२०२३
भारत
यह देश भारत वर्ष है, इस पर हमें अभिमान है
कर दें सभी मिल देश का, निर्माण नव अभियान है
गुणयुक्त हो अभियांत्रिकी, श्रम-कोशिशों का गान है
परियोजना त्रुटिमुक्त हो, दुनिया कहे प्रतिमान है
☆
तकनीक
नवरीत भी, नवगीत भी, संगीत भी तकनीक है
कुछ प्यार है, कुछ हार है, कुछ जीत भी तकनीक है
गणना नयी, रचना नयी, अव्यतीत भी तकनीक है
श्रम-मंत्र है, नव यंत्र है, सुपुनीत भी तकनीक है
*
११-१०-२०२३
*
चंद्र तल पर जा करेंगे क्या भला?
कर न जो पाए धरा का कुछ भला।
लड़ रहे; लड़ते रहे, लड़ते रहेंगे-
चंद्र पूछे आ रहे हो क्यों भला?
पहुँच चंद्र पर मानव करे लड़ाई।
वस्तु पराई ही क्यों इसको भाई?
जो पा लेता चाहत उसकी कम हो-
जो न मिले वह पाने जुगत भिड़ाई।।
बिन हवा दीपक न चंदा पर जलेगा।
दिवाली त्योहार कह कैसे मनेगा?
नहीं होली और ना राखी बँधेगी-
छोड़ धरती चाँद पर कैसे जिएगा?
- संतोष नेमा, जबलपुर १५.०७.१९६१/९३००१ ०१७९९
- संतोष शुक्ला, सूरत १५.०८.१९४२/९८७४१ ४२१००
- संदीप धीमान, हरिद्वार ०१.०३.१९७६/९७५९८ ३८९७१
- सरला वर्मा, भोपाल ०२.०६.१९५७/९७७०६ ७७४५३
* सरला वर्मा
जन्म : २ जून १९५७ बसना, जिला
महासमुंद छत्तीसगढ़।
शिक्षा, एम.ए.(समाजशास्त्र)।
माताजी- स्व. यशोदा देवी श्रीवास्तव ।
पिताजी- स्व. महावीर प्रसाद श्रीवास्तव।
जीवनसाथी - श्री सुशील वर्मा ।
प्रकाशित कृति - १।
संपर्क - ४५६ / एचआई जी, ई ७
मालती हॉस्पिटल के पीछे,
अरेरा कॉलोनी, भोपाल, ४६२०१६
(मध्य प्रदेश)
चलभाष - ९७७०६ ७७४५३ ।
***
चंद्र विजय अभियान
(छत्तीसगढ़ी)
*
कतक बखानौ, मोर तिरंगा
चंद्रयान हर पहुंचिस।
हार गे दुनिया, मोर देश ले
देख के होवे अचंभित।
तीन रंग के हावे तिरंगा,
चंद्रयान घालो तीन।
तीन देवता करें सवारी,
आशीष देवथें, पारी पारी।
ब्रह्मा विष्णु महेश यान में,
चंदा के घर पहुना।
बड़भागी विक्रम के पराक्रम ला,,,
कर डरिन दुगना तिगुना।
देख भरतीया यान ला मामा,
स्वागत में ठाँड़े हे।
आनी बानी के सुंदर फोटू,
मिशन यान में डारे हे।
ज्ञान विज्ञान में मोर देश के
नहीं है ,कोई सानी।
रूस अमेरिका करतब देखके
होवथे, पानी पानी।
धन्य धन्य इसरो के करथो
अबड बधाई तोला देथो।
भारत देश के माटी ला में,
बंदो मस्तक तिलक लगाथो।
इसरो के गौरव गाथा में,
जयति जय जय सफल मनाथो।
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- सरिता सुराणा, हैदराबाद ०५.०७.१९६६/९१७७६ १९१८१
- सरोज गुप्ता, सागर २०.०७.१९६३/९४२५६ ९३५७० बुन्देली
सरोज गुप्ता (डॉ.)
20/07/1963
सरोज गुप्ता डॉ. सागर
[14:59, 30/8/2023] सरोज गुप्ता डॉ. सागर Gupta: चन्द्रयान -3 विक्रम की हठ बुन्देली में
मोय जानेंं मम्मा के पास
मचल रओ है विक्रम, कर रओ खूबईं प्रयास,
कै रओ कै जानें मोय मम्मा के पास।
धरती मताई नें ऐंनईं समझाऔ,
लल्ला जिन जाओ हम हैंई से दिखात।
थरिया में पानूं भरकें खूबईं बहलाव ,
तनक भओ सांत पै,फिरकऊं मचल जात।
कै रओ कै जानें मोय मम्मा के पास।
उन्नईस में जाकें,तनक भटक हतौ गओ ,
तबईं सें मिलजुल कें जुगाड़े फिट कर रओ।
दिल्ली में जाकें मिलौ , मोदी चौकीदार सें,
उन्नें खूब दिलासा दई, मूड़ पै हाथ फेरौ।
भारत जा दुनिया कौ है सरताज,
कै रओ कै जानें मोय मम्मा के पास।
फिर का कइये, ईनें तो सब रोरा जुटा लओ ,
इसरो की बड्डी टीम से बतकाव कर रओ।
दक्षिणी ध्रुव खों छूबे की कोशिश करन लगौ,
दो हजार चार में कलाम साब नें देखौ तौ सपनों।
सपनों सच करकें बढ़ाई भारत की शान
कै रओ कै जानें मोय मम्मा के पास।
तेईस तारीख खों पौंच कें,कैसौ मटक रओ,
अम्मा की राखी दै कें, मिठाई ख्वा रओ।
चंदा मम्मा ने विक्रम खों भरलव अंकवार,
तिरंगा फहराकें दुनिया में पै ली बार।
इंतजार भओ खत्म बड़ी देश की शान।
कै रओ कै जानें मोय मम्मा के पास।
मचल रओ है विक्रम, कर रओ खूबईं प्रयास,
कै रओ कै जानें मोय मम्मा के पास।
*प्रोफेसर डॉ सरोज गुप्ता,
अध्यक्ष हिन्दी विभाग,
पं दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर म प्र*
[14:59, 30/8/2023] सरोज गुप्ता डॉ. सागर Gupta: विक्रम और मामा चांद-चंद्रयान-3
चलो चांद पर हम सब घूमें,
वहां की माटी जाकर चूमें।
कहते थे चन्दा मामा दूर के ,
खाओ लडडू मोतीचूर के।
अब तो चन्दा मामा पास है,
भाई विक्रम उसके साथ है।
ऋषि मुनियों की कल्पना,
अब ले रही है आकार।
धरती मां की साधना,
तिरंगा फहराकर हुई साकार।
मां ने कहा था विक्रम!
मामा के आंगन में हौले-हौले पांव रखना।
फिर पूछकर कुशल क्षेम, मेरी बात कहना।
सौंप देना रक्षा सूत्र मामा के हाथ।
जैसे ही विक्रम ने मामा चांद को छुआ ,
प्यार से गले में हाथ, डाल कर मिला।
अंकित किए पदचिन्ह, छुए पैर मामा के,
देखकर मामा को ,मां के सुनाये हालचाल।
मैया से की अपनी जिद पर हंसा कई बार ।
मां ने भी खूब बहलाया ,थाली में चांद दिखाया।
पर मैं नहीं माना, अपनी क्षमता से ,
करता रहा खूब खूब प्रयास।
देखो खड़ा हूं आपके पास।
पिछली बार असफल रहा,
सबक लेकर और आगे बढता रहा।
आ गया हूं मामा,अब खूब घूमूंगा।,
राखी का त्यौहार झूम झूम मनाऊंगा।
मां ने भेजी है मिठाई और राखी प्यार से,
विक्रम की बात सुन मामा हुए विह्वल
खायी खूब मिठाई, बैठकर निकट,
ऋषि मुनियों के ज्ञान विज्ञान पर करते रहे बहस।
जीता है अध्यात्म और विज्ञान,
बात बार बार मामा ने दुहराई,
विक्रम मैं देता हूं अपनी बहिन की दुहाई।
भारत विश्वविजयी बनकर रहेगा ,
अमर था, अमर है और अमर रहेगा ।
धरती अम्बर सूरज चांद के रिश्ते नये नहीं,
सनातन से हम सब एक है,बस मिलते नहीं।
अब हुई नयी शुरुआत तो,
नये नये अभियान बताऊंगा ।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ग्रह नक्षत्रों से मिलाऊंगा।
मामा मैं खूब घूमा हूं ,पूरी दुनिया से मिला हूं
पर आज तुझ से मिल कर मजा आ गया।
ऐसा लग रहा जैसे पूरी दुनिया पर छा गया।
🇮🇳
प्रोफेसर डॉ सरोज गुप्ता ,अध्यक्ष हिन्दी विभाग
पं दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर म प्र
चंद्रयान,,,3,,,
भारत जग का बना सहारा।
सफल हुआ अभियान हमारा।।
चंद्रयान से शान बढ़ी है।
भारत मां की आन बढ़ी है।।*
दक्षिण ध्रुव पर हम जा पहुंचे।
जहां तिरंगा अब लहराये।।
कैसे पहुंचा हमने देखा।
इतिहासों में लिखा ये लेखा।।*
भारत वासी खुशी मनाए।
गीत देश के हमने गाए।।
विश्व में चमका नाम हमारा।
भारत जग का बना सहारा।।*
पिक्चर आने लगी चांद से।
दूर हुई हर कमी चांद से।।
पानी का होना कैसा है।
हाल वहां का क्या कैसा है।।*
सूरज को समझेंगे अब हम।
अन्य हाल जानेंगे अब हम।।
विश्व को कुछ हम दे पायेंगे।
चंदा कैसा है जानेंगे।।*
एक नया इतिहास रचा है।
भारत मां का मान बढा है।।
सफल हुआ अभियान हमारा।
भारत विश्व का बना सहारा।।*
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- सिम्मी नाथ, राँची १७.०६.१९७२/९९३९६ ७३००४
* सिम्मी नाथ डॉ.
जन्म- १७ जून १९७२।
आत्मजा- श्रीमती सुधा सहाय-श्री शिव शंकर सहाय ।
जीवनसाथी - कवीन्द्र नाथ।
संप्रति- शिक्षिका।
चलभाष- ९९३९६ ७३००४।
ई मेल- simmynath111@gmail.com
चंद्रयान ने रचा इतिहास
*****************
नव आस किरण विश्वास,स्वयं आभास दिखलाता है,
मिलने को आतुर चंद्रयान, जब नन्हें पाँव बढ़ाता है,
देख हौसला भारत माँ का, चंद भी मुस्काता है।
टूटा था जब मामा से संपर्क, रोए हम व वैज्ञानिक,
साल दो हजार उन्नीस का दिन वो याद दिलाता है,
हौसलों का दम भरें तो, अंबर भी झुक जाता है।
आई है शाम सुहानी, तेईस अगस्त बड़ी निराली ,
बिछाए पलकें बैठा, उत्सुकता से हर हिंदुस्तानी ,
चंद्रयान के चंद्र कदम से, नभ से धरा तक उमंगें छाईं।
लहराया तिरंगा देश का, गूँजी जय जयका ,
देख रहा विश्व हो अचंभा, माँ भारती का अमर तिरंगा,
जो विश्वास न खोते जग में, खुशियाँ चूमे उनके कदम ।
चंद्रयान ने रचा नव इतिहास, मिलने लगे कई आभास,
आया संदेशा कुशल से, चंद्र तुम रखना ध्यान,
इसरो की मेहनत से, सफल हुआ अभियान
विश्व पटल पर देखो आज, गूँज रहा अपना जयगान।
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ग़ज़ल
बह्र 13-
बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212
________________
दीदार करने को गया ।
विक्रम उसी का हो गया।।
है नाम चन्द्रयान थ्री।
वह आसमां में खो गया।।
वह चॉंद पर रखने क़दम।
चौदह जुलाई को गया।।
लैंडिंग हुई जब चॉंद पर।
हर भारती ख़ुश हो गया।।
तारीख़ है तेईसवीं।
ख़ुशियॉं हज़ारों वो गया।।
धीरे बढ़ा कर के क़दम।
झंडा तिरंगा पो गया।।
चक्कर लगाएं थे बहुत।
इसरो ख़ुशी में खो गया।।
सावन महीने में ग़ज़ब।
दक्षिण दिशा में वो गया।।
मीना मनाओ जश्न अब।
तेईसवें सन् जो गया।।
________________
- सुनीता परसाई, हैदराबाद २०.०३.१९५६/९६१९४ ५५६११ भुआणी
सुनीता परसाई
जन्म- 20 मार्च 1956, जबलपुर।
माँ- स्व. सुधा अमलाथे जी।
पिता- स्व। काशीनाथ अमलाथे जी।
जीवनसाथी- श्री महेंद्र कुमार परसाई।
शिक्षा- एम.ए. (समाज शास्त्र, हिंदी)।
संप्रति- गृह स्वामिनी ।
‘सान्निध्य’ 817, महावीर नगर-2,
कोटा (राजस्थान)- 324005;
चलभाष- 7728824817 ।
ई मेल- aakulgkb@gmail.com
*
चन्द्रयान
छंद- कुण्डलिया, भाषा- भुआणी
*
खोजी बणीन वो गयो, रोवर संग प्रज्ञान।
चांडोबट अभियान छे, पाय देश सम्मान।।
पाय देश सम्मान, चाह छे या तो सबकी।
मुन्नों बठ अब यान, जाव मामा घर अबकी।।
कहच माय यह बात, दूर छे म्हारो भाई।
कर्यो यान कमाल, बैण भी रस्तों पाई।।
२.
देखी मामो खुश हुयो,विक्रम संग प्रज्ञान।
लाग्यो दोई का गला,बड़ों बढ़ायो मान।।
बड़ों बढ़ायो मान,बैण का हाल ख पूच्छ्या।
कसी छै म्हारी बैण,कईं नी था वे भूल्या।।
हुई मिलना म देर,ईश की या थी लेखी।
राखी संग प्रसाद, खुशी थो मामा देखी।।
३.
पाणी ढूंँढ्यो ओन तो,बढ़ाई हमारी शान।
दक्षिण ध्रुव को पेहलो,भारत को यो यान।।
भारत को यो यान,परीक्षण करगो सबतल।
चंद्रयान यो तीन, जाणगो चंद्र धरातल।।
करच इसरो काम,चलच दिन-रात ज घाणी।
नासा स जाय आग,ओन तो ढूँढयो पाणी।।
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- सुभाष सिंह, कटनी २५.०६.१९६५/९९८१७ ८११९५
सुभाष सिंह ठाकुर
आत्मज- श्रीमती मेवा बाई-स्व.एम.आर.सिंह।
जीवन संगिनी - स्व. राजकुमारी सिंह।
संप्रति- शिक्षक।
प्रकाशित कृति- रचना संग्रह विविधा।
सहभागी - हिंदी सॉनेट सलिला।
संपर्क - गर्म पोड़ी, डाकघर जुहला, जिला कटनी 483503।
चलभाष - ७२४११ ७२२२५, ९९८१७ ८११९५।
ईमेल- subhashsingh.ss62@gmail.com ।
*
मुक्तक
*
ओ चंद्रयान तेरा,अभियान अब सफल है।
इतिहास रच दिया है,सुंदर सुरम्य कल है।
प्रज्ञान कर सकेगा,नव शोध घूमकर अब,
जय घोष का समय है,आनंद युक्त पल है।
इसरो रुका नहीं है, नव लक्ष्य माथ में है।
शुचि कामना लिए हिय, हर व्यक्ति साथ में है।
चंदा जरा बता अब, कितने रहस्य पाले,
विश्वास है सभी को, नव सिद्धि हाथ में है।
नव खोज से मिला है, सल्फर अभी वहाँ पर।
अब ढूँढ़ना यही है,पानी जमा कहाँ पर।
तस्वीर कुछ अनोखी,विक्रम दिखा रहा है,
प्रज्ञान ने बताया, भूकंप भी यहाँ पर।
(दिग्पाल छंद)
*
- सुमन झा 'माहे' लक्ष्मीपुर पश्चिम चंपारण ०८.०३.१९६५/८८४०७ ७६४५९ मैथिली
- सुमन श्रीवास्तव, लखनऊ २५.०३.१९४८/९८९७० ३५२४२
सुमन श्रीवास्तव
जन्म - २५ मार्च १९४८, बस्ती (उत्तरप्रदेश)।
माता - स्व.आनन्दी वर्मा।
पिता - स्व. हरीश चन्द्र वर्मा (एडवोकेट)।
पति - स्व. प्रो. एस.एस.श्रीवास्तव (आई.आई.टी.रुड़की)।
शिक्षा - एम.ए. (समाजशास्त्र, हिन्दी), बी.एड
संप्रति - सीनियर हिन्दी अध्यापिका।
प्रकाशित पुस्तकें - ३।
संपर्क - बी.जी. २, विन्काॅन होम्स,
६फाॅन ब्रेक एवेन्यू , सरोजिनी नायडू मार्ग ,
लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)२२६००१ ।
चलभाष - ९८९७० ३५५४२ ।
ई-मेल - srivastavasumanlata@gmail.com
*
गीत चन्द्रयान ने कुछ मधुर गाए हैं ।
चंद्र प्रहरी अटल था धरा का रहा
चल रहा कर धरा को पग-पग नमन।
पूजते थे जिसे हम मनुज ईश कह
रीझते रूप पर थे रहे प्रेमीजन।
लौ चकोरी की जिससे लगी थी घनी
गीत चन्द्रयान ने कुछ मधुर गाए हैं ।
गर्व है अपने इसरो के वैज्ञानिकों पर
जिनने शशि पर तिरंगा है फहरा दिया।
यांत्रिकी की विजय, जय है तकनीक की
सूर्य-मंगल को संदेश भिजवा दिया।
अब हम भी तेरे संग गपशप करें
नाता तुझ से धरा का जुड़ेगा अधिक
गीत चन्द्रयान ने नव मधुर गाए हैं ।
हिन्दू कुण्डलियों का है शुभाधार तू
कृष्ण का था खिलौना तू लावण्यमय
घटती-बढ़ती कलाएँ लुभावन बहुत
हिममयी चाँदनी मन को मोहे सतत
तेरा आकर्षण हर पल मन को भावे
गीत चन्द्रयान ने अब मधुर गाए हैं ।
अब परत दर परत सत्य जानेंगे हम
कितना जल, कैसी वायु, खनिज कौन से
क्या धरा से वहाँ जीव बस पायेंगे?
चाँद पर आशियाना बनेगा कभी?
स्नेह ले जाएँ हम, द्वेष छोड़ें यहीं
गीत चन्द्रयान ने फिर मधुर गाए हैं ।
पग जमे अंगदी पाँव दृढ़ विक्रमी
खोज अभियान प्रज्ञान करता रहे
देश के, विश्व के अनगिनत लो नमन
अभियंताओं न थकना करो नित जतन
मार्ग नव गृह का खोजें-बनायें न थक
गीत चन्द्रयान ने शुभ मधुर गाए हैं ।
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- सुरेन्द्र सिंह पँवार, जबलपुर २५.०६.१९५७/९३००१ ०४२९६
- सुषमा खरे,सिहोरा २३.१२.१९६५/९४२५१ ५४३६१
- सुषमा शर्मा 'श्रुति', इंदौर १०.१०.१९६०/९३००८ ३२९०४ मालवी
- सुषमा सिंह करचुली, सिहोरा ०२.०१.१९६९/९७०२७ १२९९९ बघेली
- सोमपाल सिंह, मुरादाबाद ०४.०७.१९७३/९४११४ ८५२५२
- स्वाति पाठक, दिल्ली २३.१२.१९९३/९५९९७ ९९७७३
- हरि श्रीवास्तव 'अवधी हरि', लखनऊ १७.०७.१९६५/९४५०४८९७८९
- हरि सहाय पांडे 'हरि', जबलपुर १०.०६.१९६६/९७५२४ १३०९६
- हरिहर झा, मेलबोर्न आस्ट्रेलिया ०७.१०.१९४६/६१ ४३२१ १`७९३०
१२६
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- अखिलेश चंद्र गौड़, कासगंज २०-१०-१९५६/९४१२३ ०५१२५
- अजय कुलश्रेष्ठ, एटा ०७.०६.१९६५/८८८१२ ०७८५३
- अनिल जैन, दमोह २०.०६.१९६१/९६३०६ ३११५८ अंग्रेजी
- अनुराधा गर्ग, जबलपुर २९.०४.१९६०/८१०९९ ७७१९९
- अभिनंदन गुप्ता अभि 'रसमय', हरिद्वार १४.०४.१९५६/९५५७३ ७२००८
- अमरेन्द्र नारायण, जबलपुर २१.११.१९४५/९४२५८ ०७२०० भोजपुरी
- अमित मिश्र, हरदोई १७.१०.१९७८/७८००३ ९१९६३
- अरविंद श्रीवास्तव 'असीम', दतिया, २९.६.१९५९/९४२५७ २६९०७
- अरुणा पाण्डे, जबलपुर ०१.०९.१९५८/९४२५३ ६३३६४
- अवधेश सक्सेना, शिवपुरी २९-६-१९५९ /९८२७८३ २९१०२
- अविनाश ब्योहार, जबलपुर, २८.१०.१९६६/९८२६७ ९५३७२
- अस्मिता शैली, जबलपुर ११.१०.१९७७/८३०५० ९९७५५
- आशा जैन, सिहोरा २४.०९.१९५२/९७५४९ ७९८९९
- इंद्र बहादुर श्रीवास्तव, जबलपुर १४,०५.१९४७/९३२९६ ६४२७२
- उदयभानु तिवारी 'मधुकर', १८.०८.१९४६/९४२४३ २३२९७
- उमा जोशी, कुमायूँ ०९.०६.१९७३/९५३६३ १६२५६ कुमायूनी
- उषा वर्मा 'वेदना', जयपुर १२.३.१९४५/९९२८० ३०३७९
- ओंकार साहू, दिल्ली १३.१२.१९७९/८८१७२ ४५८८०
- कनक लता जैन, गुवाहाटी ०७.०३.१९७७/८४७२९ २०७३०
- कनक लता तिवारी, मुंबई ०६.०६.१९५९/९०८२१ ६९५०४
- कमलेश शुक्ला, दमोह ०९.०८.१९६२/९८२६४ ८०५६४
- कृष्णकांत चतुर्वेदी, जबलपुर १९.१२.१९३७/९४२५१५७८७३
- कालिदास ताम्रकार, जबलपुर १२.११.१९६०/९८२६७ ९५२३६
- किरण सिंह, हैदराबाद १५.०८.१९५८/९४४०५ ७०४०८
- किरण सिंह 'शिल्पी', शहडोल १८.०८.१९६५/८८२७२ ११०२३
- कीर्ति मेहता 'कोमल', इंदौर १९.१२.१९७५/९१०९३ ३३३३४
- कैलाश कौशल, जोधपुर २८.०९.१९६०/९९२८२ ९४३३३
- गीता चौबे 'गूँज', बेंगलुरु ११.१०.१९६७/८८८०९ ६५००६
- गीता शर्मा, कांकेर २४.१०.१९५२/७९७४० ३२७२२
- गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल', कोटा १८-६-१९५५/७७२८८ २४८१७
- चारु श्रोत्रिय, जावरा रतलाम ०४.०२.१९६७/९८२७३ ४२०६७ मालवी
- चेतना अग्रवाल, अहमदाबाद २७.११.१९७१/९०३३० ५९०१४
- चोवा राम वर्मा 'बादल', उड़ेला, भाटापारा २१.०५.१९६१/९९२६१ ९५७४७
- छगन लाल गर्ग, जीरावल सिरोही १३.०४.१९५४/७०७३८ २४९६९
- जयप्रकाश श्रीवास्तव, जबलपुर ०९.०५.१९५१/७८६९२ ९३९२५
- ज्योति जैन, कोलकाता २८.१.१९७४ /८१६७८ ८४४२७
- ज्वाला प्रसाद शांडिल्य 'दिव्य', हरिद्वार २६.०३.१९४३/९९२७६ १४६२?
- तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़ २३.८.१९८६ /९१०९६ ५९६४
- तृप्ति मिश्रा, हैदराबाद ०७.०७.१९७०/९४९० ९३२७२४
- दिनेश चंद्र प्रसाद 'दीनेश', कोलकाता ०५.११.१९५९/९४३४७ ५८०९३
- दिनेश दत्त शर्मा 'वत्स', गाजियाबाद १५.८.१९३९/९३११५ ०२७६९
- दुर्गा नागले, जबलपुर २९.०३.१९६८/९७७०४ ०६०१०
- देवकांत मिश्र ;दिव्य', भागलपुर १२.१२.१९७५/८२९८७ २०२५४
- देवकी नंदन 'शांत, लखनऊ ०१.०३.१९४५/८८४०५ ४९२९६ उर्दू
- नवनीता चौरसिया, जावरा रतलाम २४.०९.१९७२/९४०६६ ३६१३१
- नारायण श्रीवास्तव, करेली, नरसिंहपुर, ०१.०८.१९५१/९४२५८ १५९३३
- निर्मला कर्ण, राँची ०४.०३.१९६०/९४३१७ ८५८६०
- नीता नय्यर 'निष्ठा', रानीपुर हरिद्वार ३०.०१.१९५७/९८९७२ ०६५४५ अंग्रेजी
- नीता शेखर 'विषिका', राँची ९५०७५ ५४५६८
- नीलम कुलश्रेष्ठ, गुना ०३.०८.१९७१/९४०७२ २८३१४
- नूतन गर्ग, दिल्ली ०३.१०.१९६८/८७००६ ९४५३५
- पाण्डे चिदानंद 'चिद्रूप', वाराणसी ०९.०४.१९७७/७५२५० ९९३९९ भोजपुरी
- पुष्पा जमुआर, पटना ०५.०१.१९५६/९८०११ ९८४३३
- पुष्पा पांडे, राँची ०४.०२.१९६०/९४३१७ ०८७५०
- पुष्पा वर्मा, हैदराबाद ०४.०३.१९४६/९३९४८ ८३८९९
- पूनम चौहान, बिजनौर १५.०४.१९६७/९२५८७ ५६२२१
- प्रणति ठाकुर, कोलकाता २३.०४.१९७४/९८७४८ ६४१६९
- प्रताप सिंह राहुल, सतना २०.०१.१९८९/८१२१४ ८७२३२
- प्रियदर्शिनी पुष्पा, धनबाद ०५.०९.१९७९/७९०३६ ४४८५७
- बसंत शर्मा, बिलासपुर ०५.०३.१९६६/९४७९३ ५६७०२
- बहादुर सिंह बिष्ट 'दीपक', २२.०५.१९८२/ कुमायूनी
- बाबा कल्पनेश, १८.१०.१९५८/८७६५१ ९४७७३
- भावना पुरोहित, अहमदाबाद २२.११.१९६०/९७०१८ ०८५१७ गुजराती
- मगन सिंह जोधा, आबूरोड सिरोही, १५.०३.१९६८ राजस्थानी
- मदन श्रीवास्तव, जबलपुर ०३.११.१९५१/९२२९४ ३६०१०
- मधु प्रधान, मुंबई २६.१२.१९५०/९९६९२ १२३४४
- मनीषा सहाय, जबलपुर १९.०२.१९७५/७७६२९ ३९६५७
- मनोज शुक्ल 'मनोज', जबलपुर १६.०८.१९५१/९४२५८ ६२५५०
- मनोहर चौबे 'आकाश', जबलपुर २०.०८.१९५०/९८९३० २३१०८
- महेंद्र नाथ तिवारी 'अलंकार', वाराणसी ०१.०६.१९५६/९४५४७ २९८९३
- मीना घुमे 'निराली', लातूर ०५.०९.१९७८/९६८९१ ९०७२९ मराठी
- मीना भट्ट, जबलपुर ३०.०४.१९५३/७९७४१ ६०२६८
- मीना श्रीवास्तव, ग्वालियर १५.०६.१९६५/७०४९ ०३५५५५
- मीनाक्षी गंगवार, लखनऊ १४.११.१९७८/९४५०४ ६८९४१
- मीनू पाण्डेय 'नयन', भोपाल १८-०३.१९७३/७९८७१ ४१०७३
- मुकुल तिवारी, जबलपुर ०१.०७.१९६१/९१३११ ०९४१४
- रजनी शर्मा, रायपुर १४.०३.१९६७/९३०१८ ३६८११ हलबी
- राजलक्ष्मी शिवहरे, जबलपुर२२.०२.१९४९/९९२६८ ७०१०३
- राधेश्याम साहू, जमनीपाली कोरबा ०३.०६.१९७६/८३१९७ ४५८९८
- रानी दाधीच, जयपुर २५.०४.१९८०/८३६७८ ८४२००
- रामस्वरूप साहू, कल्याण ०१.०६.१९४९/९३२३५ ३८०१०
- रीना प्रताप सिंह, बिजनौर २६.०३.१९७८/९४१०४ ३२५७४
- रेखा श्रीवास्तव, अमेठी ११.०९.१९६०/९४५०७ ७४२०२
- रोशनी पोखरियाल, चमोली १३.०२.१९७७/७३०२६ ०६९३२
- वरुण तिवारी, गुना २०.०९.२००१/८८७१८ ३९८१८
- वसुधा वर्मा, ठाणे ०५.०९.१९५७/९८३३२ ३२३९६
- विजय लक्ष्मी 'विभा', प्रयागराज २५.०८.१९४६/७३५५६ ४८७६७
- विजय शंकर 'विशाल', बसना महासमुंद २३.०५.१९७४/९६६९४ ७१२७४ संबलपुरी
- विनोद जैन 'वाग्वर' सागवाड़ा १७.०९.१९६८/९६४९९ ७८९८१
- विपिन श्रीवास्तव, दिल्ली ०२.०९.१९८०/९८२६२ ७६३६४ बुन्देली
- विष्णु शास्त्री 'सरल', चंपावत उत्तराखंड ०८.०५.१९५७/९४११३ ४७९३४
- वीणा कुमारी नंदिनी, जमशेदपुर
- वैष्णो खत्री 'वेदिका', जबलपुर १९.०३.१९५८/७९९९९ ६१८६०
- वृंदावन राय 'सरल', सागर ०३.०६.१९५१/७८६९२ १८५२५
- शन्नो अग्रवाल, लंदन ०९.१२.१९४७/८१६७८ ८४४२७
- शशि त्यागी, अमरोहा २८.०३.१९५६/९०४५१ ७२४०२
- शालिनी त्रिपाठी 'शालू', फरीदपुर १६.०९.१९९५/७९८५१ १७८७८
- शिखा सेन, इंदौर १४.०९.१९६५/९८२६३ २०९५५
- शिप्रा मिश्रा, बेतिया चंपारण १६.०६.१९६९/९४७२५ ०९०५६
- शिप्रा सेन, जबलपुर१४.०७.१९६१/ ७७४८९ ८०५३३ बांग्ला, हिंदी, अंग्रेजी
- शिव कुमार पाटकार, तेंदूखेड़ा, नरसिंहपुर १७.०७.१९८२/९४०७३ ०५७४६
- शिव नारायण जौहरी, भोपाल ०३.०१.१९२६/९९८१५ ०७०१२
- शुचि भवि, भिलाई २४-११-१९७१/९८२६८ ०३३९४
- शैलजा दुबे, बिलखड़ एटा ०१.०१.१९७६/९७१९१ ९५४८२
- संगीता नाथ, धनबाद ९४३१११६८९८
- संगीता भारद्वाज, भोपाल २०.०८.१९६७/८८८९५ ५८८८५
- संजीव वर्मा 'सलिल',जबलपुर २०.०८.१९५२/९४२५१ ८३२४४
- संतोष नेमा, जबलपुर १५.०७.१९६१/९३००१ ०१७९९
- संतोष शुक्ला, सूरत १५.०८.१९४२/९८७४१ ४२१००
- संदीप धीमान, हरिद्वार ०१.०३.१९७६/९७५९८ ३८९७१
- सरला वर्मा, भोपाल ०२.०६.१९५७/९७७०६ ७७४५३
- सरिता सुराणा, हैदराबाद ०५.०७.१९६६/९१७७६ १९१८१
- सरोज गुप्ता, सागर २०.०७.१९६३/९४२५६ ९३५७० बुन्देली
- सिम्मी नाथ, राँची १७.०६.१९७२/९९३९६ ७३००४
- सुनीता परसाई, हैदराबाद २०.०३.१९५६/९६१९४ ५५६११ भुआणी
- सुभाष सिंह, कटनी २५.०६.१९६५/९९८१७ ८११९५
- सुमन झा 'माहे' लक्ष्मीपुर पश्चिम चंपारण ०८.०३.१९६५/८८४०७ ७६४५९ मैथिली
- सुमन श्रीवास्तव, लखनऊ २५.०३.१९४८/९८९७० ३५२४२
- सुरेन्द्र सिंह पँवार, जबलपुर २५.०६.१९५७/९३००१ ०४२९६
- सुषमा खरे,सिहोरा २३.१२.१९६५/९४२५१ ५४३६१
- सुषमा शर्मा 'श्रुति', इंदौर १०.१०.१९६०/९३००८ ३२९०४ मालवी
- सुषमा सिंह करचुली, सिहोरा ०२.०१.१९६९/९७०२७ १२९९९ बघेली
- सोमपाल सिंह, मुरादाबाद ०४.०७.१९७३/९४११४ ८५२५२
- स्वाति पाठक, दिल्ली २३.१२.१९९३/९५९९७ ९९७७३
- हरि श्रीवास्तव 'अवधी हरि', लखनऊ १७.०७.१९६५/९४५०४८९७८९
- हरि सहाय पांडे 'हरि', जबलपुर १०.०६.१९६६/९७५२४ १३०९६
- हरिहर झा, मेलबोर्न आस्ट्रेलिया ०७.१०.१९४६/६१ ४३२१ १`७९३०
***
परिशिष्ट
सहभागी कवि- (वरिष्ठता क्रम अनुसार)
रचना, चित्र, सूक्ष्म परिचय (जन्म तिथि-माह-वर्ष-स्थान, माता-पिता-जीवनसाथी, शिक्षा, संप्रति, प्रकाशित पुस्तकें, डाक पता, ईमेल, चलभाष/वाट्स एप) तथा सहयोग निधि हेतु आभार।
*
००१. शिवनारायण जौहरी, भोपाल ०३.०१.१९२६
००२. कृष्णकांत चतुर्वेदी, जबलपुर १९.१२.१९३७ ० पाली, प्राकृत, संस्कृत, ब्रज, हिंदी
००३. दिनेशदत्त शर्मा 'वत्स', गाजियाबाद १५.०८.१९३९ / ९३११५०२७६९
००४. अमरनाथ अग्रवाल, लखनऊ ०१.०२.१९४१ ०
००५. संतोष शुक्ला, मांडवी, कच्छ १५.०८.१९४२
००६. ज्वाला प्रसाद शांडिली 'दिव्य', हरिद्वार २६.०३.२९४३
००७. अमरेन्द्र नारायण, जबलपुर २१.११.१९४५ भोजपुरी
००८. उदयभानु तिवारी 'मधुकर', जबलपुर १८.०८.१९४६ ०
००९. देवकी नंदन 'शांत', लखनऊ ०१.०३.१९४५ उर्दू
०१०. उषा वर्मा 'वेदना', जयपुर १२.०३.१९४५
०११. पुष्पा वर्मा, हैदराबाद ०४.०३.१९४६
०१२. विजय लक्ष्मी 'विभा', प्रयागराज २५.०८.१९४६
०१३. हरिहर झा, मेलबोर्न, आस्ट्रेलिया ०७.१०.१९४६
०१४. इंद्र बहादुर श्रीवास्तव, जबलपुर १४.०५.१९४७ ०
०१५. शन्नो अग्रवाल, लंदन ०९.१२.१९४७
०१६. राजलक्ष्मी शिवहरे, जबलपुर २२.०२.१९४९
०१७. रामस्वरूप साहू, कल्याण ०१.०६.१९४९
०१८. मनोहर चौबे 'आकाश', जबलपुर २०.०८.१९५० ०
०१९. मधु प्रधान, मुंबई २६.१२.१९५०
०२०. जयप्रकाश श्रीवास्तव, जबलपुर ०९.०५.१९५१
०२१. बृंदावन राय 'सरल', सागर ०३.०६.१९५१
०२२. मदन श्रीवास्तव, जबलपुर ०३.११.१९५१
०२३. नारायण श्रीवास्तव, करेली नरसिंहपुर ०१.०८.१९५२
०२४. संजीव वर्मा 'सलिल' जबलपुर २०.०८.१९५२
०२५. आशा जैन, सिहोरा २४.०९.१९५२
०२६. गीत शर्मा, कांकेर २४.१०.१९५२
०२७. मीना भट्ट, जबलपुर ३०.०४.१९५३
०२८. श्रीधर प्रसाद द्विवेदी, पलामू २०.०५.१९५३ ०
०२९. छगन लाल गर्ग, जीरावल, सिरोही १३.०४.१९५४
०३०. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल', कोटा १८.०६.१९५५
०३१. पुष्पा जमुआर, पटना ०५.०१.१९५६
०३२. शशि त्यागी, अमरोहा २८.०३.१९५६
०३३. सुनीता परसाई, हैदराबाद २०.०३.१९५६ भुआणी
०३४. अभिनंदन गुप्ता अभि 'रसमय, हरिद्वार' १४.०४.१९५६
०३५. महेन्द्रनाथ तिवारी 'अलंकार', वाराणसी ०१.०६.१९५६
०३६. अखिलेश चंद्र गौड़, कासगंज २०.१०.१९५६ (२ पृष्ठ )
०३७. नीता नय्यर 'निष्ठा', रानीपुर हरिद्वार ३०.०१.१९५७ अंग्रेजी
०३८. विष्णु शास्त्री 'सरल', चंपावत, उत्तरा. ०८.०५.१९५७
०३९. सरला वर्मा, भोपाल ०२.०६.१९५७ छत्तीसगढ़ी
०४०. सुरेन्द्र सिंह पवार, जबलपुर २५.०६.१९५७
०४१. वसुधा वर्मा, ठाणे ०५.०९.१९५७
०४२. वैष्णो खत्री 'वेदिका', जबलपुर १९.०३.१९५८
०४३. किरण सिंह, हैदराबाद १५.०८.१९५८
०४४. अरुणा पांडे, जबलपुर ०१.०९.१९५८
०४५. बाबा कल्पनेश, सारंगापुर, प्रयागराज १८.१०.१९५८
०४६. कनकलता तिवारी, मुंबई ०६.०६.१९५९
०४७. अरविन्द श्रीवास्तव, दतिया २९.०६.१९५९
०४८. अवधेश सक्सेना, शिवपुरी २९.०६.१९५९
०४९. दिनेश चंद्र प्रसाद 'दीनेश', कोलकाता ०५.११.१९५९
०५०. पुष्पा पाण्डेय, राँची ०४.०२.१९६०
०५१. निर्मला कर्ण, चेन्नई ०४.०३.१९६०
०५२. अनुराधा गर्ग 'दीप्ति' जबलपुर २९.०४.१९६०
०५३. रेखा श्रीवास्तव, अमेठी ११.०९.१९६०
०५४. कैलाश कौशल, जोधपुर २८.०९.१९६०
०५५. सुषमा शर्मा 'श्रुति', इंदौर १०.१०.१९६० मालवी
०५६. कालीदास ताम्रकार, जबलपुर १२.११.१९६० ०
०५७. भावना पुरोहित, हैदराबाद २२.११.१९६० गुजराती
०५८. चोवाराम वर्मा 'बादल',उड़ेला,भाटापारा २१.०५.१९६१
०५९. अनिल जैन, दमोह २०.०६.१९६१ अंग्रेजी
०६०. मुकुल तिवारी, जबलपुर ०१.०७.१९६१
०६१. शिप्रा सेन, जबलपुर १४.०७.१९६१ (४) बांग्ला, हिंदी, अंग्रेजी
०६२. संतोष नेमा, जबलपुर १५.०७.१९६१
०६३. कमलेश शुक्ला, दमोह ०९.०८.१९६२
०६४. सरोज गुप्ता, सागर २०.०७.१९६३ बुंदेली
०६५. संगीता नाथ, धनबाद ०३.०९.१९६३
०६६. सुमन झा 'माहे', पश्चिमी चंपारण ०८.०३.१९६५ मैथिली
०६७. अजय कुलश्रेष्ठ, एटा ०७.०६.१९६५
०६८. मीना श्रीवास्तव, ग्वालियर १५.०६.१९६५
०६९. सुभाष सिंह, कटनी २५.०६.१९६५
०७०. हरि श्रीवास्तव 'अवधी हरि', लखनऊ १७.०७.१९६५
०७१. किरण सिंह 'शिल्पी;, शहडोल १८.०८.१९६५ बघेली
०७२. शिखा सेन, इंदौर १४.०९.१९६५ बांग्ला
०७३. सुषमा वीरेंद्र खरे, सिहोरा २३.१२.१९६५
०७४. बसंत शर्मा, बिलासपुर ०५.०३.१९६६
०७५. हरिसहाय पांडे, जबलपुर १०.०६.१९६६
०७६. सरिता सुराणा, हैदराबाद ०५.०७.१९६६
०७७. अविनाश ब्योहार, जबलपुर २८.१०.१९६६
०७८. चारु श्रोत्रिय, जावरा, रतलाम ०४.०२.१९६७
०७९. रजनी शर्मा, रायपुर ९३०१८३६८११ १५.०३.१९६७ हलबी
०८०. पूनम चौहान, बिजनौर १५.०४.१९६७
०८१. संगीता भारद्वाज, भोपाल २०.०८.१९६७
०८२. गीता चौबे गूँज, बेंगलुरु ११.१०.१९६७ भोजपुरी
०८३. मगन सिंह जोधा, आबू रोड १५.०३.१९६८ राजस्थानी
०८४. दुर्गा नागले, जबलपुर २९.०३.१९६८
०८५. विनोद जैन 'वाग्वर', सागवाड़ा, डूंगरपुर १७.०९.१९६८
०८६. नूतन गर्ग, बिजनौर ०३.१०.१९६८
०८७. सुषमा सिंह कर्चुली , सिहोरा ०२.०१.१९६९ बघेली
०८८. शिप्रा मिश्रा, छपरा/चंपारण २६.०६.१९६९
०८९. तृप्ति मिश्रा, हैदराबाद ०७.०७.१९७०
०९०. नीलम कुलश्रेष्ठ, गुना ०३.०८.१९७१
०९१. शुचि भवि, भिलाई २४.११.१९७१
०९२. चेतना अग्रवाल, अहमदाबाद २७.११.१९७१
०९३. सिम्मी नाथ, राँची १७.०६.१९७२
०९४. नवनीता चौरसिया, जावरा, रतलाम २४.०९.१९७२
०९५. मीनू पाण्डेय 'नयन', भोपाल १८.०२.१९७३
०९६. उमा जोशी, कुमायूँ ०९.०६.१९६३ कुमायूँनी
०९७. सोमपाल सिंह, मुरादाबाद ०४.०७.१९७३
०९८. ज्योति जैन, कोलकाता २८.०१.१९७४
०९९. प्रणति ठाकुर, कोलकाता २३.०४.१९७४
१००. विजय शंकर 'विशाल', बसना, महासमुंद २३.०५.१९७४ संबलपुरी, हिंदी (२)
१०१. मनीषा सहाय, जबलपुर १९.०९.१९७५
१०२. देवकांत मिश्र, भागलपुर १२.१२.१९७५ अंगिका
१०३. कीर्ति मेहता 'कोमल', इंदौर १९.१२.१९७५
१०४. संदीप धीमान, हरिद्वार ०१.०३.१९७६
१०५. राधेश्याम साहू, जमनीपाली, कोरबा ०३.०६.१९७६
१०६, रोशनी पोखरियाल, चमोली १३.०२.१९७७ गढ़वाली
१०७. कनकलता जैन, गुवाहाटी ०७.०३.१९७७
१०८. पांडे चिदानंद 'चिद्रूप', वाराणसी ०९.०४.१९७७ भोजपुरी
१०९. अस्मिता शैली, जबलपुर ११.१०.१९७७
११०. रीना प्रताप सिंह, बिजनौर २६.०३.१९७८
१११. मीना घुमे, लातूर ०५.०९.१९७८ मराठी
११२. अमिता मिश्रा, हरदोई १७.१०.१९७८
११३. मीनाक्षी गंगवार, लखनऊ १४.११.१९७८
११४. प्रियदर्शिनी पुष्पा, धनबाद ०५.०९.१९७९
११५. ओंकार साहू, दिल्ली १३.१२.१९७९
११६. रानी दाधीच, जयपुर २५.०४.१९८०
११७. विपिन श्रीवास्तव, दिल्ली ०२.०९.१९८० बुन्देली
११८. बहादुर सिंह बिष्ट 'दीपक', २२.०५.१९८२ कुमायूनी
११९. शिव कुमार पाटकार, तेंदूखेड़ा १७.०७.१९८२
१२०. तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़ २३.०८.१९८६
१२१. प्रताप सिंह, कोटर, सतना २०.०१.१९८९
१२२. स्वाति पाठक मिश्रा, दिल्ली २३.१२.१९९३
१२३. शालिनी त्रिपाठी, फरीदपुर १६.०९.१९९५
१२४. वरुण तिवारी, गुना २२.०९.२००१
१२५.
१२३ सहभागी, भाषा-बोली २५
... निरंतर
सहयोगिता निधि ३००/- ९४२५१८३२४४ पर भेजिए। पावती पर रचनाकार का नाम अवश्य लिखें।
दीपशिखा चौरे 'दीपा'
नीता शेखर 'विशिका', रांची
अर्चना कुमारी
वीणा कुमारी नंदिनी, जमशेदपुर
गरिमा खरे, नोएडा
*
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